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37 वर्ष पूर्व सास से मिली छठ व्रत करने की जिम्मेदारी को निभा रही शिव देवी

है। सास दादिया देवी उम्रदराज होने के साथ-साथ उनकी तबीयत भी खासी बेहतर नहीं रहती थी। जबकि सूर्य षष्टि यानी छठ पूजा नजदीक आ चुकी थी। इस पर उन्होंने अपनी बहू शिव देवी को छठ व्रत पूजा करने की जिम्मेदारी दे दी। जिसे शिव देवी ने पूरे आदर के साथ स्वीकार कर लिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 07:40 PM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 06:22 AM (IST)
37 वर्ष पूर्व सास से मिली छठ व्रत करने की जिम्मेदारी को निभा रही शिव देवी
37 वर्ष पूर्व सास से मिली छठ व्रत करने की जिम्मेदारी को निभा रही शिव देवी

शाम सहगल, जालंधर : बात 1982 की है। सास दादिया देवी की उम्रदराज होने के कारण तबीयत ठीक नहीं रहती थी। उन दिनों सूर्य षष्ठि यानी छठ पूजा नजदीक आ रही थी। स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के चलने उन्होंने छठ पूजा करने की जिम्मेदारी मुझे दे दी। यह कहना है बहू शिव देवी का। शिव देवी ने पूरे आदर के साथ स्वीकार किया। यह जानते हुए भी कि यह व्रत आसान नहीं है। इसमें लगभग तीन दिनों तक निराहार व निर्जल रहने के साथ लंबे समय तक पानी के बीच भीगे हुए कपड़े पहन कर खड़े रहकर पूजा करनी पड़ती है। शिव देवी के मुताबिक पहले वर्ष से ही उन्होंने इसे सहज स्वीकार किया और तमाम रस्में विधिवत पूरी की। यह परंपरा आज भी बरकरार है।

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दरअसल, शिव देवी की शादी हो गए अभी 10 वर्ष ही हुए थे कि उनकी सास दादिया देवी के लिए स्वास्थ्य खराब रहने के कारण सूर्य षष्ठी यानी छठ व्रत की पूजा संपन्न करना मुश्किल हो गया था। इस दौरान अन्य जिम्मेदारियों के साथ-साथ उनकी सास ने छठ व्रत पूरा करने की जिम्मेदारी भी शिव देवी को दे दी, जिसे आज तक निरंतर पूरा किया जा रहा है।

बेटियां भी करती हैं सहयोग : शिव देवी बताती है कि उनके दो बेटे व तीन बेटियां हैं। बेटे कामकाज पर चले जाते हैं, जबकि बेटियां छठ व्रत की पूजा संपन्न कराने में पूरा सहयोग करती हैं। उन्होंने कहा कि पूनम, ममता व चंदा तीनों ही व्रत पूजा का सामान लाने से लेकर इसकी रस्में पूरी करने तक में पूरी मदद करती हैं। दो बेटियों की शादी हो चुकी है, लेकिन छठ व्रत के दौरान वह उनके पास जरूर आती हैं।

संतान प्राप्ति ही नहीं, परिवार की उन्नति के लिए भी रखते हैं व्रत : शिव देवी के पति गौतम महातो बताते हैं कि उनके बुजुर्ग बताते थे कि छठ का व्रत केवल संतान की प्राप्ति के लिए ही नहीं, बल्कि परिवार की उन्नति व चमड़ी रोगों से मुक्ति पाने के लिए भी रखा जाता है। परिवार के कई सदस्य मिलकर छठ व्रत की पूजा करते हैं।


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