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कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत को अदालत का झटका, खाली करनी हाेगी किराये की कोठी

कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह को अदालत का झटका लगा है। उनको जालंधर में बेट के नाम पर ली गई किराये की कोठी खाली करने का अदालत ने आदेश दिया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 06 Jul 2017 01:27 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jul 2017 01:27 PM (IST)
कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत को अदालत का झटका, खाली करनी हाेगी किराये की कोठी
कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत को अदालत का झटका, खाली करनी हाेगी किराये की कोठी

जेएनएन, जालंधर। रेत खनन मामले मे विवाद में आए बिजली व सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह पर अदालती बिजली गिरी है। अदालत ने मंत्री व उनके बेटे इंद्रप्रताप सिंह को डिफेस कॉलोनी स्थित कोठी को खाली करने का आदेश दिया है। वह यहां बीते 15-20 सालों से किराये पर रह रहे हैं। इस संबंध में एडिशनल सिविल जज सीनियर डिवीजन आशीष अबरोल की अदालत ने अादेश जारी किया है। राणा गुरजीत सिंह का पुत्र इस कोठी का किरायेदार है।

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जानकारी के अनुसार, शहर की डिफेंस कालोनी में 14 नंबर कोठी असल में सेवामुक्त ब्रिगेडियर रणजीत सिंह घुम्मन की है। राणा गुरजीत सिंह का पुत्र इस कोठी में रह रहा था। उन्होंने 28 अगस्त, 2015 में अपना यह घर खाली करवाने के लिए अदालत मे केस दर्ज करवाया था। यह मामला 10 मार्च 2017 को ब्रिगेडियर के पक्ष मे आ गया था।

ब्रिगेडियर घुम्मन ने अदालत में दी याचिका में कहा कि उन्‍होंने 2004 को राणा गुरजीत सिंह के पुत्र राणा इंद्रप्राप सिंह को डिफेस कालोनी में 14 नंबर घर 4500 सौ रुपये महीना किराये पर दिया था। ब्रिगेडियर ने बताया कि वह 30 सितंबर 2015 को फौज से जब सेवामुक्त हुए तो उन्होंने अपनी इस कोठी में रहने का मन बनाया और राणा इंद्रप्राप सिंह से कोठी खाली करने को कहा। इसके बाद उन्होंने 2015 मे एक कानूनी नोटिस भेजा था, जिसमें उन्हें एक महीने मे घर खाली करने को कहा गया। इस नोटिस के बाद भी कोठी खाली नहीं की गई।इसके बाद उन्होंने अपना घर खाली करवाने के लिए पंजाब पुलिस में मामला दर्ज करवाया था।

राणा ने इसी घर से लड़ा था जालंधर मे चुनाव

बताा जाता है कि राणा गुरजीत सिंह ने 2004 मे जब जालंधर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था तब वह इसी घर मे रह रहे थे। यहीं से वह अपनी चुनावी सरगर्मियां चला रहे थे। भले पंजाब विधानसभा चुनाव उन्होंने कपूरथला जिले से लड़ी थी लेकिन पहली बार मंत्री बनने के बाद भी उन्होंने अपनी रिहायश डिफेंस कालोनी कोठी नंबर 14 मे ही रखी हुई थी।

दूसरी तरफ, राणा गुरजीत सिंह के बेटे इंद्रप्रात सिंह के वकील ने अदालत मे दलील दी थी कि जो नए किराये का इकरारनामा किया गया था, वह रजिस्टर नहीं था। इसलिए शिकायतकर्ता ब्रिगेडियर को रेट कंट्रोल की धारा 22 का लाभ नही दिया जा सकता है। इसके बाद 10 मार्च को एडिशनल सिवल जज सतीश अबरोल की अदालत ने बचाव पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि नया इकरारनामा रजिस्टर नहीं था।

अदालत ने आदेश दिया था कि एक महीने के अंदर कोठी खाली कर इसके असली मालिक को दिया जाए। इसके बावजूद राणा गुरजीत सिंह ने कोठी खाली नहीं की। इसके बाद ब्रिगेडियर घुम्मन ने फिर अदालत का दरवाजा खटकाया। बुधवार को अदालत के वेल्फ को आदेश दिया गया कि वह घर खाली करवा कर ब्रिगेडियर रणजीत सिंह घुम्मन को सौंपे।

एक-दो दिन मे घर खाली कर देगे : इंद्रप्रताप

राणा गुरजीत सिंह के बेटे इंद्रप्रताप सिंह ने अदालत के फैसले पर कहा कि उन्होंने कई दिनों से घर का सामान उठाना शुरू कर दिया है। एक-दो दिन में कोठी खाली कर देंगे। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि वह बीते 15-20 सालों से डिफेंस कालोनी के कोठी नंबर 14 मे रह रहे थे। उन्होंने बताया कि अदालती आदेश में किराया 4500 रुपये म‍ासिक बताया गया है जबकि वास्‍तव में यह किराया 45 हजार रुपये प्रति महीने था।


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