बजट से मिली निराशा, उद्योगपति अब विधायकों पर निकालेंगे हताशा
बजट में इंडस्ट्री के लिए मोटे तौर पर कोई राहत ना मिलने से उद्योगपतियों में भारी निराशा पाई जा रही है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : बजट में इंडस्ट्री के लिए मोटे तौर पर कोई राहत ना मिलने से उद्योगपतियों में भारी निराशा पाई जा रही है। उद्योगपतियों का तर्क है कि सरकार उन क्षेत्रों को हजारों करोड़ देने की घोषणा कर रही है, जहां से राजस्व में कोई वृद्धि नहीं होनी है। सरकार का खजाना भरने वाली इंडस्ट्री एक बार फिर से बुरी तरह से नजरअंदाज कर दी गई है। हजारों लोगों को रोजगार देने वाली छोटी इंडस्ट्री भी बजट में कुछ राहत ले पाने में सफल नहीं हो पाई है। हालांकि पंजाब सरकार के विधायक बजट को इंडस्ट्री के लिए उम्दा बता रहे हैं। यही वजह है कि बजट से हताश हुए उद्यमी अब विधायकों पर गुस्सा निकालने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। ---------- वित्तमंत्री उद्योगपतियों को बेवकूफ समझ रहे हैं और उन्हीं का अनुसरण विधायक भी कर रहे हैं। विधायक बजट को इंडस्ट्री के लिए राहत बता रहे हैं, लेकिन उन्हें एक्साइज एंड टैक्सेशन की एबीसी भी नहीं मालूम है। बजट में वैट रिफंड, स्टेट जीएसटी रिफंड, सस्ती बिजली कुछ भी तो नहीं है। 2700 करोड़ इंडस्ट्री की बिजली के लिए रखे जाने की घोषणा गले नहीं उतर रही है। सरकार सस्ती बिजली तो दे नहीं पाई, 2700 करोड़ कहां खर्च होगा। - गरशरण सिंह, जालंधर इंडस्ट्रीयल एंड ट्रेडर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी के कन्वीनर --- कृषि, बागवानी और फूड प्रोसे¨सग में ही उलझे मनप्रीत बादल ने इंडस्ट्री को नकार दिया है। व्यापार और उद्योग के सबसे महत्वपूर्ण वैट रिफंड, जीएसटी रिफंड और सस्ती बिजली तो बजट का हिस्सा ही नहीं बने हैं। इंडस्ट्री की पें¨डग सब्सिडी के अलावा बजट में व्यापार एवं उद्योग के लिए कुछ नहीं है। लघु एवं मध्यम उद्योग एवं व्यापार की अनदेखी हुई है। इस बजट से समूचे उद्योग एवं व्यापार जगत में निराशा का आलम है। - र¨वदर धीर, व्यापार सेना पंजाब के अध्यक्ष --- इंडस्ट्री की बदकिस्मती है कि लोगों के प्रतिनिधि बन विधानसभा में बैठने वाले विधायक इंडस्ट्री की डिमांड एवं समस्याओं को समझ ही नहीं सके हैं। एक बार फिर से पंजाब सरकार ने साबित कर दिया है कि इंडस्ट्री सेक्टर प्राथमिकताओं में शामिल नहीं है। पंजाब सरकार एवं जालंधर के विधायकों को बताना चाहिए कि उनके प्रयासों के चलते आखिरकार इंडस्ट्री को बजट में क्या मिल सका है। विधायकों को बजट में इंडस्ट्री के लिए कोई प्रावधान न किए जाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। - राजू विर्क, चमड़ा व्यापारी ---- मनप्रीत बादल और अफसरशाही ने उद्योगपतियों से बैठकें कर आश्वासन दिया था कि लैंड एन्हांसमेंट का मसला तुरंत हल कर लिया जाएगा। किसी भी उद्योगपति को एन्हांसमेंट के लिए अदायगी नहीं करनी पड़ेगी। बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है। पंजाब सरकार के बजट में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है, जिससे यह पता चलता है कि इंडस्ट्री को एन्हांसमेंट के चाबुक से राहत मिल गई है। - नरेंद्र सिंह सग्गू, फोकल प्वाइंट एक्सटेंशन एसोसिएशन के अध्यक्ष ----- सरकार पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली देने के वादे से मुकर गई है। सस्ती बिजली तो इंडस्ट्री को दे नहीं सके, लेकिन अब बिजली के रेट भी धीरे-धीरे बढ़ाने शुरू कर दिए गए हैं। सरकार इंडस्ट्री से सस्ती बिजली मुहैया करवाने का वादा कई बार कर चुकी थी लेकिन बजट में इसका प्रावधान ना किया जाना बेहद निराशाजनक है। 2700 करोड़ रुपया इंडस्ट्री की बिजली के लिए अलग से रखे जाने का प्रावधान समझ से परे है। - बलराम कपूर, पंजाब ऑटो पार्ट्स मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष