मां के हौसले से भरी उड़ान, बॉलीवुड के ये हिट गाने हैं अब ज्योतिका की पहचान..
छोटी सी उम्र से ही ज्योतिका को गुनगुनाने का शौक था, आवाज अच्छी जो थी। संगीत गुरु धर्मेद्र कत्थक ने ज्योतिका को तीसरी क्लास में गाते सुना तो उन्हें उस नन्हीं बच्ची में भविष्य का एक सितारा नजर आया।
सत्येन ओझा, जालंधर : छोटी सी उम्र से ही ज्योतिका को गुनगुनाने का शौक था, आवाज अच्छी जो थी। संगीत गुरु धर्मेद्र कत्थक ने ज्योतिका को तीसरी क्लास में गाते सुना तो उन्हें उस नन्हीं बच्ची में भविष्य का एक सितारा नजर आया। बॉलीवुड को मास्टर सलीम जैसा संगीतकार दे चुके धर्मेद्र कत्थक को फिर नए हीरे की तलाश थी। धुन के पक्के धर्मेन्द्र ने किशोर उम्र तक आते-आते ज्योतिका को संगीत की दुनिया में चमकने के लिए पूरी तरह तैयार कर दिया। मगर सफलता ऐसे ही नहीं मिलती है, ईश्वर बहुत इम्तिहान लेता है। ज्योतिका के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। किशोर उम्र में जब उसके होंठों से निकले सुर परवान चढ़ रहे थे। तभी सिर से उसके पिता राजीव तांगड़ी का साया उठ गया।
मां भावना उस समय जीवन के दोराहे पर खड़ी थीं। उनके सामने पति के निधन के बाद परिवार चलाने और ज्योतिका के अंदर पनप रही प्रतिभा को उसके मुकाम तक पहुंचाने जैसी दो बड़ी चुनौतियां थी। चुनौती बड़ी थी, लेकिन मां ने बच्चों को अपने दर्द का अहसास नहीं होने दिया। ज्योतिका के लिए जब मुंबई अपनी बाहें फैलाए खड़ी थी, तब मां ने मंजूरी देने में एक पल भी नहीं लगाया। बल्कि, ये कहकर हौसला दिया कि जा बेटी, अब तेरी असली मंजिल मुंबई में ही है।
आखिरकार गुरु के ज्ञान और मां के आशीष को ज्योतिका ने सही साबित कर दिखाया। दिसंबर 2017 में जी सिने अवार्ड में अपनी आवाज का जादू बिखेरते हुए बॉलीवुड की प्ले बैक ¨सगर का अवार्ड अपने नाम कर ज्योतिका बॉलीवुड का नया सुर बन गईं। ज्योतिका इन दिनों शहर में है, वे अपने भाई की शादी के लिए यहां आई हैं। मां के साथ शादी की हर तैयारी खुद कर रही हैं। ज्योतिका ने कहा, बचपन में जब से होश संभाला, वे स्टार कलाकारों की तरह गाने का सपना देखती थीं। आवाज अच्छी थी, लेकिन उड़ान मां के दिए हौसले से भरी।
बॉलीवुड के गाने
पल्लू लटके (शादी में जरूर आना)
इश्क दे फनियार ( फुकरे रिटर्न)
तेनूं न बोल पावां (बहन होगी तेरी)
शुभ दिन (परमाणु)