खून की कालाबाजारी का रहस्य गहराया, अब खरीदारों की ओर घूमी शक की सूई
पिम्स से गढ़ा के एक अस्पताल में दाखिल मरीज के लिए खरीदा गया खून सिविल अस्पताल कैसे पहुंचा, इसकी जांच डॉक्टर के छुट्टी पर जाने के कारण थम गई है।
जासं, जालंधर। सेहत विभाग की सुस्त जांच के कारण खून के दलाल एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। पिम्स से गढ़ा के एक अस्पताल में दाखिल मरीज के लिए खून लेने के बाद खून सिविल अस्पताल कैसे पहुंचा, इसकी जांच डॉक्टर के छुट्टी पर जाने के चलते थम गई है। सोमवार को दैनिक जागरण की टीम ने अस्पताल से खून वापस लेकर जाने वाले शख्स के घर का दौरा किया तो वहां मिले घरवालों ने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया।
इधर, जोनल लाइसेंसिंग अथारिटी करुण सचदेव ने बताया कि सिविल अस्पताल में राम अवध को खून की डिमांड की जानकारी उनके पास कैसे पहुंची। खून कौन लेकर और कैसे लेकर पहुंचा। खून को अस्पताल प्रशासन की ओर से नष्ट करवाना था। निजी अस्पताल के स्टाफ ने खून वापस क्यों किया, इसकी जांच की जाएगी। जांच में मरीज के परिजनों को भी शामिल किया जाएगा। दोषी पाए जाने पर ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट के तहत अदालत में केस दर्ज होगा और इसमें 3 से 5 साल तक की सजा हो सकती हैं।
मरीज कोमल दीप कौर को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उसके पति ने खून वापस देने के लिए आवेदन किया था। दीपक ने घर का पता संत नगर बताते हुए अस्पताल प्रबंधन को आवेदन किया था कि उन्होंने पत्नी के आपरेशन के लिए दो यूनिट खून के मंगवाए थे। आपरेशन के दौरान खून की खपत नहीं हुई है । खून के दो यूनिट उन्हें वापस दे दिए जाएं ताकि वो ब्लड बैंक में वापस कर सकें। इसके बाद खून सिविल अस्पताल में बिकने से पहले कहां और किस तापमान पर रखा गया इसका कोई प्रमाण नहीं है।
उधर, हीलिंग टच अस्पताल के डॉ. केजे सिंह ने बताया कि अस्पताल से मरीज को छुट्टी मिलने के बाद दीपक ने उनसे खून वापस लेकर ब्लड बैंक को लौटाने का आवेदन किया था। अस्पताल प्रशासन ने खून वापस देकर रसीद ले ली थी।
विभाग ने पिम्स का रिकार्ड जांचा
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार बग्गा ने बताया कि टीम ने पिम्स का रिकार्ड जांच लिया। इसके बाद हीलिंग टच अस्पताल को नोटिस दिया गया है। डॉ. केजे सिंह ने 9 नवंबर को लौट कर रिकार्ड की जांच करवाने की बात कही है। डॉ. बग्गा ने बताया कि मरीज के परिजनों को भी जांच में शामिल किया जाएगा। दोषी पाए जाने की सूरत में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एक बार खून ब्लड बैंक से जारी होने के बाद वापस देने का प्रावधान नही हैं।
सोशल मीडिया में सक्रिय खून के दलाल
निजी व सरकारी अस्पतालों में खून की मांग को लेकर रोजाना सोशल मीडिया पर संदेश चलने लगे हैं। खूनदान देने वाली संस्थाएं ज्यादातर इसी के सहारे मरीजों की मांग को पूरा करते हैं। इस दौरान समाज में छिपी काली भेड़ें इसका गलत फायदा उठा रही हैं। वे मरीजों को गुमराह कर पैसे बटोरने में कामयाब हो रहे हैं। हिंदुस्तान ब्लड डोनर्स वेलफेयर सोसायटी के प्रधान विनीत पुरी का कहना है कि सभी संस्थाओं के साथ बैठक कर ग्रुपों की स्क्रीनिंग करवाई जाएगी और संदेह के घेरे में आने वाले लोगों के नंबरों को हटा दिया जाएगा।