ममता की छांव: दृष्टिहीन बेटी पढ़ सके इसलिए मां साथ करेगी बीए
जालंधर में एक मां ने अपनी नेत्रहीन बेटी को ऊंचा मुकाम दिलाने की ठानी है। बेटी को पढ़ाई में दिक्कत न हो इसलिए उन्होंने उसके साथ बीए में दाखिला लिया है।

जेएनएन, जालंधर। मां की ममता की छांव बच्चों के लिए सबसे बड़ा संबल हाेता है। जीवन के सभी मोड़ पर मां अपने बच्चे के साथ खड़ी रहती है। मां का यही रूप यहां देखने को मिला। यहां एक मां ने बेटी की पढ़ाई में उसकी नेत्रहीनता रोड़ा न बने इसलिए खुद भी पढ़ाई करने की ठानी। अब मां के बने नोट्स से बेटी भी पढ़ाई करेगी। वह दोनों एक साथ बीए में दाखिला लिया है। बेटी मां द्वारा तैयार नोट्स आडियो पर सुनकर पढ़ाई करेगी।
सिविल लाइंस क्षेत्र की निवासी मनप्रीत कौर व बेटी गुरलीन कौर ने लायलपुर खालसा कॉलेज फॉर वुमेन में बीए में एडमिशन लिया है। गुरलीन बचपन से ही नेत्रहीन हैं। 38 वर्ष की मनप्रीत कौर ने वर्ष 1996 में एचएमवी स्कूल से बारहवीं की थी। मनप्रीत की वर्ष 1997 में सुखविंदर पाल के साथ शादी हो गई। पति ने पढ़ाई जारी रखने के लिए कहा, लेकिन पारिवारिक जिम्मेवारी के कारण वह आगे की पढ़ाई न कर सकीं।
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इसके बाद गुरलीन पैदा हुई। वह बचपन से नेत्रहीन है, लेकिन मनप्रीत ने तय किया वह बेटी पर इसका असर नहीं होनग देंगी और जीवन में उसे एक मुकाम हासिल कराएंगी। इसके लिए वह उसकी छांव बन गर्इं। बेटी ने बारहवीं पास की तो मनप्रीत ने आगे की पढ़ाई के लिए उसकी परेशानी के बारे में सोच कर उन्होंने तय किया कि वह भी बेटी के साथ पढ़ाई करेंगी।
इसके बाद उन्होंने बेटी के साथ ही बीए में दाखिला ले लिया जाए। उनका कहना है कि इससे गुरलीन को मदद भी मिलेगी और मेरी भी पढ़ाई पूरी हो जाएगी। गुरलीन के नोट्स मनप्रीत ही तैयार करती हैं। गुरलीन टॉकिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से नोट्स को सुनती और याद करती हैं।
बेटी के साथ पढ़ने का सपना हुआ पूरा, घर में सब खुश
बेटी के साथ ही पढ़ने का सपना पूरा करने के लिए मनप्रीत ने राजनीतिक शास्त्र, हिस्ट्री व इलेक्टिव पंजाबी विषय का चयन किया है। मनप्रीत बताती है कि कॉलेज के पुराने दिन याद आ गए। पिता सुखविंदर पाल सिंह का दिल्ली में बिजनेस है। पति ने प्रोत्साहित किया और कॉलेज में दाखिला ले लिया। गुरलीन काफी खुश है।
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आइएएस बनना चाहती है गुरलीन कौर
गुरलीन बताती है कि मम्मी के साथ एग्जाम में कंपीटीशन भी होगा। गुरलीन आइएएस बनना चाहती हैं। स्काइप पर ब्लाइंड ग्रुप बनाया हुआ है। दोस्तों के साथ बात करना गुरलीन को अच्छा लगता है। गुरलीन नेत्रहीनों के लिए बने रेडियो उड़ान में अंताक्षरी होस्ट कर चुकी हैं।
एडमिशन लेने के लिए किया प्रेरित: डॉ.नवजोत कौर
लायलपुर खालसा कॉलेज फॉर वुमेन प्रिंसिपल डॉ. नवजोत कौर ने कहा कि पढ़ाई करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। पढ़ने वाली महिला को हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए। मां-बेटी को दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया और पढ़ाई जारी रखने के लिए कहा।
पहले भी बारहवीं में ले चुकी हैं मां-बेटी दाखिला
इससे पहले एक और मां-बेटी की जोड़ी साथ पढ़ाई कर चुकी है। जालंधर कैंट की रहने वाली मां-बेटी बारहवीं कक्षा में दाखिला ले चुकी हैं। 15 दिन पहले इसी कॉलेज में मां कुलविंदर कौर व बेटी ईशानी ने बारहवीं कक्षा में दाखिला लिया था। दोनों ने एक-दो दिन एक साथ क्लास भी अटेंड की थी।

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