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ह्यूमन राइट्स के प्रधान पर दुकानदार ने दस लाख की वसूली का लगाया आरोप

ह्यूमन राइट्स के प्रधान शशि शर्मा और उनके पारिवारिक दोस्त विपन सभ्रवाल पर विनय नगर निवासी विजय ग्रोवर ने जबरन पैसे वसूलने के आरोप लगाए हैं।

By Edited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 01:38 AM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 09:34 AM (IST)
ह्यूमन राइट्स के प्रधान पर दुकानदार ने दस लाख की वसूली का लगाया आरोप

जेएनएन, जालंधर। ह्यूमन राइट्स के प्रधान शशि शर्मा और उनके पारिवारिक दोस्त विपन सभ्रवाल पर बर्तन बाजार में मगन लाल ग्रोवर एंड संस नाम से बर्तन की दुकान चलाने वाले विनय नगर निवासी विजय ग्रोवर ने जबरन पैसे वसूलने के आरोप लगाए हैं। प्रेस कांफ्रेंस में विजय ने कहा कि उसका अपने एक दोस्त (जिसकी दुकान भी उसके पास ही है) के साथ पैसों का लेन देन था। उसने दोस्त को आठ लाख रुपये के बर्तन और 24 लाख रुपये किसी से ब्याज पर लेकर दिए थे। इसके बाद दोस्त की नीयत बदल गई और वो पैसे देने में आनाकानी करने लगा। उसने अपने जीजा मनीष चोपड़ा से बात की जिन्होंने अपनी बुआ के बेटे ह्यूंमन राइट्स के प्रधान शशि शर्मा से बात की।

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विजय ने आरोप लगाया कि शशि ने विपन सभ्रवाल और चेतन हांडा सहित कुछ और लोगों को उसके पास भेजा लेकिन उससे केवल एक बार ही बात हुई। इसके बाद बाजार के दुकानदारों ने मिलकर समझौता करवा दिया। फैसला हुआ कि 17 लाख रुपये लौटाने होंगे वो भी चार महीने बाद। विजय ने कहा कि उसने 15 लाख रुपये छोड़ दिए थे। विजय ने आरोप लगाया कि विपन और उसके साथियों ने मिलकर उसे धमकाना शुरू कर दिया कि समझौता उन्होंने करवाया है और इसके बदले में दस लाख रुपये दे। वीरवार रात को विपन का साथी चेतन दुकान पर आया और कहा कि विपन ने अपने शेखां बाजार वाले दफ्तर में बुलाया है। वह मौसी के बेटे के साथ उनके दफ्तर में गया तो वहां विपन, चेतन सहित दर्जन भर लोग बैठे थे।

उन्होंने उसे वहां तीन घंटे तक बंधक बनाए रखा और धमकियां दी कि यदि दस लाख रुपये न दिए तो वह उसे नुकसान पहुंचाएंगे। यह भी धमकी दी कि अपने ही लोगों के हाथ पांव तुड़वाकर पर्चा दर्ज करवा दूंगा। विजय ने आरोप लगाया कि इस दौरान जीजा मनीष भी आ गया और उसने शशि शर्मा से बात की लेकिन कोई हल नहीं निकला। आरोप लगाया कि शशि शर्मा से जब जीजा ने बात करने को कहा तो शशि ने उसे धमकाया कि मेरी बात मत करवाए, विपन उसे मार देगा। उसने बताया कि इस संबंध में उसने पुलिस कमिश्नर को शिकायत दे दी है जिसकी जांच डीसीपी गुरमीत सिंह को सौंपी गई है।

चौथी कमेटी उठाकर भागा था, पैसे मांगे तो लगा दिए आरोप

इस संबंध में विपन सभ्रवाल ने बताया कि विजय ने उसके पास दस लाख रुपये की कमेटी डाली थी, जो उसने अपने जीजा मनीष की जिम्मेदारी पर डाली थी। चौथी कमेटी उसने साढ़े सात लाख रुपये में उठा ली और बाद में किश्तें देनी बंद कर दी। दो माह बाद उसने आना भी छोड़ दिया। उन्होंने विजय के जीजा मनीष को बुलाया और सारी बात बताई। इसके बाद विजय ने उससे कहा कि उसने दोस्त से 32 लाख रुपये लेने हैं, जो उसने ब्याज पर दिए थे। ब्याज के पैसों से वह किश्तें देता था और अब फंस गया है। विजय ने जीजा मनीष से कहा कि वह उनके पैसे निकलवा दे तो वह किश्तें दे सकता है। विपन ने बताया कि बाजार के सारे गणमान्य लोग जमा करके बात की गई तो उनका आपसी लेन देन का फैसला हो गया। वीरवार शाम को मनीष विजय को लेकर आया और कहा कि शुक्रवार को ढाई लाख रुपये दे जाएगा और बाकी बाद में धीरे धीरे दे देगा। करीब दो घंटे तक विजय और मनीष उसके साथ रहे और रात का खाना खाकर गे। इसकी सारी विडियो रिकाॅर्डिंग उनके पास है। उन्होंने बताया कि अब उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं ताकि वह अपना पैसा वापस न मांग सके। विपन ने बताया कि वह इस संबंध में पुलिस कमिश्नर को शिकायत देंगे और विजय व उसकी मौसी के बेटे के खिलाफ मानहानि का मुकद्दमा करेंगे।

चेतन हांडा से हुई बातचीत

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान विजय ने चेतन हांडा की रिकार्डिंग भी सुनाई। जिसमें चेतन हांडा कह रहा था 'भाजी तुसीं आए नहीं, अगली आवाज विजय की थी..भाजी पैसेयां दा इंतजाम नहीं होया.. भाजी फेर कदों आओगे, मैं भाजी अद्दे घंटे तक आवांगा..चलो ठीक है भाजी आ जाओ अद्दे घंटे तक'। इसके बाद फोन बंद हो गया।

मेरा विजय से कोई लेना-देना नहीं, कभी बात भी नहीं हुई

ह्यूमन राइट्स पंजाब के प्रधान शशि शर्मा ने बताया कि वह तो विजय को कभी मिले भी नहीं, फोन पर बात तक नहीं हुई। न ही उनको पता है कि विपन सभ्रवाल ने उससे कोई पैसे लेने हैं। उनको तो यह तक नहीं पता कि उनका नाम लिया ही क्यों जा रहा है। उन्होंने बताया कि वह इन सारे सवालों के जवाब विजय से अदालत में पूछेंगे, जिसने उन झूठे आरोप लगाकर छवि खराब करने का प्रयास किया है।

शुरू कर दी है मामले की जांच

डीसीपी गुरमीत सिंह का कहना है कि मेरे पास शिकायत आ गई है। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। मामले की सच्चाई क्या है? यह जांच के बाद ही साफ होगा और उसके बाद ही कोई टिप्पणी की जा सकती है।

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