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जालंधर मे भाजपा महिला मोर्चा ने शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर पुष्प माला अर्पित की, एकता व अखंडता का संकल्प लिया

जालंधर में भाजपा महिला मोर्चा ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती के अवसर पर पुष्पांजलि भेंट की। मीनू शर्मा ने कहा कि भगत सिंह जिस परिवार में जन्मे उसका माहौल ही कुछ ऐसा था कि उन्हें क्रांतिकारी बनना ही था।

By Vinay KumarEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 02:13 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 02:13 PM (IST)
जालंधर मे भाजपा महिला मोर्चा ने शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर पुष्प माला अर्पित की, एकता व अखंडता का संकल्प लिया
जालंधर में भाजपा महिला मोर्चा ने शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर पुष्प माला अर्पित की है।

जागरण संवाददाता, जालंधर। जालंधर में भाजपा महिला मोर्चा द्वारा शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज 114 वीं जयंती के अवसर पर पुष्पांजलि भेंट की। इस दौरान भाजपा महिला मोर्चा जालंधर अध्यक्षा मीनू शर्मा, पंजाब उप प्रधान सुमन सहगल, पंजाब प्रवक्ता अनु भारद्वाज, पंजाब कार्यकारिणी सदस्य अनु शर्मा, जिला महामंत्री प्रवीण भारती, सुखबीर चट्ठा, सविता मैणी, रजनी गुप्ता, कविता सेठ, सुमन, अंजू डेविड, लाडी ढल्ला, रजिंदर कौर बादल, सुमन राणा, मीनू शर्मा कैंट ने शिरकत की। भाजपा महिला मोर्चा जिला अध्यक्षा मीनू शर्मा ने कहा कि इंकलाब जिंदाबाद व साम्राज्यवाद मुर्दाबाद जैसे नारे देकर स्वतंत्रता में निर्णायक मोड़ ला देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की आज 114वीं जयंती है। 28 सितम्बर, 1907 को अविभाजित भारत के लायलपुर बंगा में जन्मे भगत सिंह जिस परिवार में जन्मे, उसका माहौल ही कुछ ऐसा था कि उन्हें क्रांतिकारी बनना ही था। उनके अंदर बचपन में जो संस्कार आए, उसमें उनके पूरे परिवार का बड़ा योगदान है।

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उनमें गदर पार्टी के क्रांतिकारी आंदोलन के प्रति गहरा आकर्षण था। शहीद करतार सिंह सराभा उनके आदर्श थे। जिनका फोटो वह हमेशा अपनी जेब में रखते थे। ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के नाम में ‘सोशलिस्ट’ शब्द उन्हीं के सुझाव पर जुड़ा था। वह सिर्फ क्रांतिकारी ही नहीं, युगद्रष्टा, स्वप्नदर्शी, विचारक भी थे। वैज्ञानिक, ऐतिहासिक दृष्टिकोण से सामाजिक समस्याओं के विश्लेषण की उनमें अद्भुत क्षमता थी। अपनी मां को लिखे एक खत में उन्होंने कहा था, ‘‘मां, मुझे इस बात में बिल्कुल शक नहीं, एक दिन मेरा देश आजाद होगा। मगर मुझे डर है कि ‘गोरे साहब’ की खाली की हुई कुर्सी में काले-भूरे साहब बैठने जा रहे हैं।’’ उनकी भविष्यवाणी अक्षरश: सच साबित हुई। देश आजाद जरूर हो गया, लेकिन सत्ताधारियों का किरदार और आम आदमी के प्रति उनका बर्ताव नहीं बदला।

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