नगर निगम हाउस की बैठक आज, पार्किंग घोटाले पर घिर सकते हैं मेयर Jalandhar News
बैठक में रखे जाने वाले सबसे अहम प्रस्तावों में पार्किंग का प्रस्ताव भी शामिल है। निगम ने नामदेव चौक से लेकर बीएसएफ चौक तक 11 पार्किंग साइट्स को नए सिरे से बनाने का प्रस्ताव रखा है।
जालंधर [ मनोज त्रिपाठी]। नगर निगम हाउस की मंगलवार को होने वाली बैठक में तमाम मुद्दों को लेकर विपक्ष मेयर जगदीश राज राजा को घेरेगा। हालांकि इसमें सबसे बड़े पार्किंग घोटाले के मुद्दे पर किसी की नजर नहीं है। सत्ता पक्ष ने पार्किंग माफियाओं के साथ मिलकर दर्जनों अवैध पार्किंग बनवा रखी हैं। यहां से रोजाना होने वाली लाखों की कमाई माफिया, चुनिंदा निगम अधिकारियों व सत्ताधारी नेताओं की जेब में जा रही है। इधर, निगम इनकी नीलामी की बजाय लोगों व विपक्ष का ध्यान भटकाने के लिए 11 नई पार्किंग साइट्स बनाकर सभी की आंखों में धूल झोंकने की तैयारी में है।
मंगलवार दोपहर तीन बजे होने वाली बैठक में रखे जाने वाले सबसे अहम प्रस्तावों में पार्किंग का प्रस्ताव भी शामिल है। निगम ने नामदेव चौक से लेकर बीएसएफ चौक तक 11 पार्किंग साइट्स को नए सिरे से बनाने का प्रस्ताव रखा है। इसमें नरेंद्र सिनेमा के पास वाली साइट को छोड़कर अन्य जगहों पर पार्किंग की खास दिक्कत नहीं है। थोड़ी परेशानी है तो वह टैक्सी स्टैंड्स को लेकर है। इन्हें हटाकर सार्वजनिक पार्किंग स्थल की बजाय निगम लोगों की जेब काटने की तैयारी में है। यही हाल बीएमसी चौक से लेकर बस स्टैंड चौक तक का है। बस स्टैंड के अंदर-बाहर तीन पार्किंग पहले से ही हैं। इसके अलावा दो अवैध पार्किंग भी हैं। नरेंद्र सिनेमा के सामने 15 साल से अंडरग्राउंड पार्किंग बनी है। उसके आगे खालसा कॉलेज रोड से लेकर बीएसएफ चौक तक पार्किंग की तो कोई समस्या ही नहीं है। इतना जरूर है कि जब रोड पर स्थित होटलों में प्रोग्राम होता है तो सड़क पर वाहन जरूर खड़े होते हैं। ऐसे में निगम के इस प्रस्ताव का भी वहीं हाल होगा, जैसा 15 साल पहले लाखों रुपये खर्च कर निगम द्वारा बनाई 27 पार्किंग का हुआ। इनसे साइट्स से हजारों की भी कमाई नहीं हो सकी।
निगम दफ्तर से ज्योति चौक, सिविल अस्पताल व नकोदर चौक में है बड़ी समस्या
पार्किंग की सबसे बड़ी समस्या निगम दफ्तर, कंपनी बाग से लेकर भगवान वाल्मीकि चौक (ज्योति चौक) और सिविल अस्पताल तथा नकोदर चौक के बीच में है। निगम ने बैठक के एजेंडे में दोनों सड़कों से लेकर रैनक बाजार सहित अंदरूनी हिस्सों में बनी अवैध पार्किंग संबंधी कोई प्रस्ताव शामिल नहीं किया है। कंपनी बाग चौक से लेकर जेल चौक तक सड़कों पर पार्किंग की जगह पर कच्चे व पक्के कब्जों को हटाने को लेकर निगम गंभीर नहीं है। ऐसे में विपक्ष चाहे तो मेयर को इस मुद्दे पर घेर सकता है। आखिर इन मार्गों पर अवैध रूप से येलो लाइन बनाने का क्या औचित्य है। यहां तो पार्किंग की बजाय दुकानें व रेहडिय़ां सजी रहती हैं। सारा खेल पार्किंग माफिया, चुनिंदा निगम अधिकारियों व सत्ताधारी नेताओं की मिलीभगत से खेला जा रहा है।
विपक्ष ने बनाई मेयर को घेरने की रणनीति
इस बार हाउस मीटिंग में हंगामा होने के आसार हैं। पिछली मीटिंग में अकाली-भाजपा पार्षद सभी से पानी का बिल वसूलने के मामले को जोरदार ढंग से नहीं उठा सके थे। वे बायकॉट कर गए थे और सत्ता पक्ष ने इसका फायदा उठाकर प्रस्ताव पारित कर दिया था। इसे लेकर गठबंधन को आलोचना का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इस बार अकाली-भाजपा पार्षद सदन में ही सत्ता पक्ष के खिलाफ आवाज बुलंद करने की तैयारी में है। इसकी तैयारी भी की जा चुकी है। सोमवार को तीन बजे तक अकाली-भाजपा पार्षदों ने मीटिंग भी की है। भाजपा पार्षद बलजीत प्रिंस के ऑफिस में हुई मीटिंग में पार्षदों ने एजेंडा पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस बार एजेंडे में कुछ खास प्रस्ताव नहीं है। शहर के सभी हलकों से कूड़ा उठाने के लिए करोड़ों रुपये में ट्रैक्टर-ट्रॉलियां किराए पर लेने के प्रस्ताव पर भी चर्चा की गई। अकाली-भाजपा पार्षदों का तर्क है कि इतना पैसा खर्च करके तो निगम काफी गिनती में अपनी मशीनरी खरीद सकता है।
नॉर्थ हलके में सीवरेज जाम की समस्या भी बनेगी मुद्दा
मीटिंग में अकाली-भाजपा पार्षद नॉर्थ हलके में सीवरेज व्यवस्था चरमराने का मुद्दा भी उठाएंगे। नाॅर्थ हलके का सीवरेज सिस्टम आधा फोलड़ीवाल लाइन और आधा बस्ती पीरदाद से जुड़ा है। दोनों ही लाइनों में गड़बड़ी और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता कम होने के कारण इलाकों में सीवरेज जाम की समस्या है। फोकल प्वाइंट की इंडस्ट्री का सीवरेज भी डोमेस्टिक सीवर से जोड़ा गया है, जिस कारण सिविल लाइन पर दबाव है। इससे कालिया कॉलोनी, संजय गांधी नगर और उसके आसपास की कॉलोनियों में सीवरेज बैक मार रहा है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी कम क्षमता के हैं और इन्हें अपग्रेड करने का प्लान चल रहा है। हालांकि जितनी क्षमता बढ़ाई जानी है, उससे भी लोगों को राहत कम ही मिलेगी।
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