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पंजाब के बाद सिटी पालिटिक्स में भी तजिंदर बिट्टू की रि-इंट्री, ऐसे किया शक्ति प्रदर्शन Jalandhar News

बारह साल से सिटी पॉलिटिक्स से गायब चल रहे तजिंदर सिंह बिट्टू ने शनिवार को एक बार फिर से पनसप का चेयरमैन बनने के बाद शहर में शक्ति प्रदर्शन के जरिए शहर की सियासत में रि-इंट्री की है

By Edited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 10:34 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 09:39 AM (IST)
पंजाब के बाद सिटी पालिटिक्स में भी तजिंदर बिट्टू की रि-इंट्री, ऐसे किया शक्ति प्रदर्शन Jalandhar News

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। बारह साल से सिटी पॉलिटिक्स से गायब चल रहे तजिंदर सि्ंह बिट्टू ने शनिवार को एक बार फिर से पनसप का चेयरमैन बनने के बाद शहर में शक्ति प्रदर्शन के जरिए शहर की सियासत में रि-इंट्री की है। पंजाब व जालंधर की पॉलिटिक्स में बिट्टू अंदरखाते 12 सालों से खासे सक्रिय थे, अलग बात है कि पावरलेस होने की वजह से वह किसी भी मामले में खुल कर सामने नहीं आते थे। पर्दे के पीछे से वह शहर के ज्यादातर मामलों में अपनी पैठ बनाए हुए थे। अब पनसप का चेयरमैन बनने के बाद जिस प्रकार से बिट्टू का शनिवार को कांग्रेसियों की तरफ से स्वागत को लेकर शक्ति प्रदर्शन किया गया, उससे कई दिग्गज कांग्रेसियों के कान खड़े हो गए हैं। यही वजह है कि कुछ ने अभी से बिट्टू से दूरी बनानी शुरू कर दी है।

कांग्रेस सरकार के 2002 से 2007 के कार्यकाल में बिट्टू ने इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन से लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबियों के रूप में शहर में अपनी अलग पहचान बनाई थी। इस दौरान वह कई बार विरोधियों के निशाने पर भी आए, लेकिन हमेशा ही बिट्टू ने अपनी तरफ विरोधियों द्वारा छोड़े गए सियासी तीरों की दिशा मोड़कर विरोधियों को शांत कर दिया। 2007 में सूबे में आई अकाली-भाजपा सरकार बनते ही सबसे पहले कांग्रेसियों में बिट्टू ही निशाने पर आए थे। कैप्टन व उनके पूर्व मीडिया सलाहकार भरतइंदर सिंह चहल के करीबी होने के चलते सुखबीर सिंह बादल ने सरकार में आते ही सबसे पहली जांच बिट्टू के खिलाफ ही शुरू करवाई थी। अलग बात है कि उक्त जांच की आंच बिट्टू ने सूझबूझ से अपने ऊपर नहीं आने दी थी।

2007 में ही सेंट्रल हलके कांग्रेस की टिकट पर राजकुमार गुप्ता को किनारे करके पार्टी ने सेंट्रल हलके से बिट्टू को चुनावी मैदान में उतारा था। त्रिकोणीय मुकाबले का लाभ भाजपा उम्मीदवार मनोरंजन कालिया को मिला था और वह चुनाव जीत गए थे। 2012 व 2017 के चुनाव में बिट्टू ने पहले कैंट सीट पाने की कोशिश की तो बाद 2017 में नॉर्थ सीट को अवतार हैनरी की दोहरी नागरिकता के विवाद के चलते बिट्टू को सौंप दिया गया। हैनरी के समर्थकों के जोरदार विरोध के चलते पार्टी ने अपना फैसला वापस लिया और बिट्टू को दी गई टिकट काटकर हैनरी के बेटे जूनियर अवतार उर्फ बाबा हेनरी को दी गई। अब 12 साल बाद बिट्टू को इंतजार के बाद पनसप के चेयरमैन के रूप में सरकार ने पावर दी है।

शनिवार को शक्ति प्रदर्शन कर बिंट्टू ने अब आधिकारिक रूप से सिटी पॉलिटिक्स में रि-इंट्री की है। देखना है कि अब बिट्टू सियासत ए जालंधर को किस करवट लेकर जाते हैं। सियासी दांव-पेंच के माहिर खिलाड़ी बिट्टू की इस रि-इंट्री से फिलहाल हैनरी सहित कई कांग्रेसियों के खेमों में ¨चता की लकीरें दौड़ गई हैं। उम्मीद की जा रही है भविष्य में जालंधर में कांग्रेसियों का एक गुट और बनना तय है। उस गुट की कमान बिट्टू के हाथों में होगी या फिर किसी और कांग्रेसी के हाथों में यह समय बताएगा। फिलहाल शनिवार के शक्ति प्रदर्शन ने इसकी नींव रख दी है।
 

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