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जालंधर के भव्या अरोड़ा बने मिसाल, खेलने-कूदने की उम्र में संभाल रहे कारोबार, खुद सिलेक्ट करते है चप्पल के डिजाइन

मौज-मस्ती व खेलने कूदने की आयु के दिनों में भव्या इंडस्ट्री के चप्पल डिजाइन को देख रहे हैं। पहले इंडस्ट्री में सिर्फ 5 डिजाइन की चप्पल तैयार होती थी। भव्या द्वारा कारोबार देखने के बाद इंडस्ट्री में चप्पल के 20 से 30 डिजाइन तैयार हो रहे हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 14 May 2022 11:24 AM (IST)Updated: Sat, 14 May 2022 11:24 AM (IST)
जालंधर के भव्या अरोड़ा कम उम्र में नाम कमा रहे हैं। (जागरण)

कमल किशोर, जालंधरः पिता का सपना होता है उसका बेटा उसके कारोबार को आगे लेकर जाए। जब बेटा पढ़ाई के साथ-साथ कारोबार में हाथ बंटाना शुरु कर देता है तो पिता के लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है। ऐसे ही एक बेटा पिता के कारोबार के साथ जुड़ गया है। हम बात कर रहे है कन्हैया इंडस्ट्री के एमडी नीरज अरोड़ा के बेटे 20 वर्षीय भव्या अरोड़ा की। इंडस्ट्री में हवाई चप्पल तैयार होती है। मौज-मस्ती व खेलने कूदने की आयु के दिनों में वह इंडस्ट्री के चप्पल डिजाइन को देख रहे हैं। पहले इंडस्ट्री में सिर्फ 5 डिजाइन की चप्पल तैयार होती थी। भव्या द्वारा कारोबार देखने के बाद इंडस्ट्री में चप्पल के 20 से 30 डिजाइन तैयार हो रहे हैं। भव्या खुद चप्पल के डिजाइन कंपयूटर पर तैयार करता है। उस डिजाइन की चप्पल तैयार कर देश के विभिन्न राज्यों में सेल की जाती है। खरीददार भी डिजाइन चप्पल को अधिक पसंद कर रहे है।

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बीस प्रतिशत कारोबार में हुई बढ़ोतरी

भव्या के पिता नीरज अरोड़ा ने बताया कि विभिन्न डिजाइन की चप्पल तैयार होने से इंडस्ट्री की ग्रोथ 20 प्रतिशत बढ़ गई है। भव्या समय-समय पर कोई न कोई इनोवेशन करता रहता है। अधिकतर महिलाओं की चप्पल की डिजाइन तैयार कर रहा है। एक डिजाइन को तैयार करने में भव्या को एक से डेढ़ घंटे का समय लग जाता है।

एपीजे कालेज का विद्यार्थी है भव्या अरोड़ा

भव्या अरोड़ा एपीजे कालेज में बीबीए सेमेस्टर-2 की पढ़ाई कर रहा है। कालेज से सीधा इंडस्ट्री में काम करने के लिए पहुंच जाता है। काम करने की लगन को देखते भव्या खुद का एक यूनिट खोलना चाहता है। दूसरों देशों में तैयार की गई चप्पल को एक्सपोर्ट करना चाहता है।

कड़ी मेहनत करना पिता से सीखा-भव्या

भव्या ने बताया कि कड़ी मेहनत करना पिता नीरज अरोड़ा से सीखा। सुबह-शाम तक पिता इंडस्ट्री के कामकाज में जुटे रहते थे। 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद पिता के कारोबार को देखना शुरु किया। कारोबार को ओर आगे बढ़ाने के लिए इनोवेशन करनी शुरु की। डिजाइन को स्वयं सिलेक्ट करने लगा। विभिन्न डिजाइन की चप्पल तैयार होने लगी तो कारोबार में बढ़ोतरी होने लगी। खरीददारों में डिजाइन चप्पल की मांग बढ़ रही है। खरीददार से आर्डर से मिल रहे है। शहर में चप्पल का शोरुम का निर्माण करना है। जहां लोगों को सस्ती व क्वालिटी चप्पल मिल सकें।


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