आरडीडीएल में वायरस जांच की व्यवस्था नहीं, लैब में नहीं पहुंचे चमगादड़ों के सैंपल
निपाह वायरस की वजह से चमगादड़ नहीं मर सकते। गर्मी से मर सकते हैं।
जासं, जालंधर : हिमाचल में मरे चमगादड़ों के सैंपल जालंधर रीजनल आरडसीसिज डायग्नोसिटक लेबोरेटरी (आरडीडीएल) में जांच के लिए नहीं पहुंचे हैं और न ही इसकी जांच की व्यवस्था का भी प्रावधान है। पशु चिकित्सा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एवं लैब के प्रभारी डॉ. मो¨हदर पाल ¨सह ने बताया कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश में संपर्क करने पर पता चला है कि नाहन के किसी स्कूल में एक दर्जन के करीब चमगादड़ मरे थे। उसे लेकर लोगों में निपाह वायरस की दहशत फैल गई। जबकि निपाह वायरस की वजह से चमगादड़ नहीं मर सकते। गर्मी की वजह से मर सकते हैं। जालंधर स्थित आरडीडीएल लैब में जांच के लिए सैंपलों नही पहुंचे हैं। सैंपल नेशनल हाई सिक्योरिटी लैब भोपाल और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ विरोलॉजी पुणे भेजे गए हैं। आरडीडीएल लैब में निपाह वायरस की जांच का प्रावधान नहीं है। इस वायरस की जांच के लिए हाई सिक्योरिटी सिस्टम की जरूरत होती है। आरडीडीएल लैब में सरकार की ओर से इस तरह का सिस्टम स्थापित नहीं किया गया है। यदि सैंपल लैब में पहुंचते तब भी टीम उसे पुणे ही भिजवाती। उन्होंने बताया कि भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड, कंबोडिया, फिलीपिन्स, मलेशिया से मामले रिपोर्ट हो चुके हैं। 1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह गांव के लोग पहली बार इस वायरस का शिकार हुए थे। इसलिए इसका नाम निपाह वायरस पड़ा। वायरस का शिकार होने वाले सुआर पालते थे। वायरस 2004 में बांग्लादेश में आया था। मो¨हदर पाल ¨सह ने बताया कि उन्होंने जिले के पशु चिकित्सकों को अलर्ट कर दिया है कि अगर इससे संबंधित कोई सूचना मिलती है तो सूचित करें और टीमें मौके पर भेजें। इसके अलावा सेहत विभाग को भी निपाह वायरस से ग्रस्त मरीज की सूचना मिलती है तो वहां भी टीमें भेजी जाएगी। उधर, सिविल सर्जन डॉ. जसप्रीत कौर ने बताया कि लोगों में दहशत को देखते हुए आईडीएसपी विभाग को अलर्ट कर दिया गया है। आईडीएसपी विभाग के अधिकारी स्वास्थ्य केन्द्रों के डाक्टरों के अलावा पशु पालन विभाग के डाक्टरों के साथ तालमेल रखेंगे।
जानवरों से इंसानों में फैल सकता है निपाह वायरस
जिला एपीडिमोलाजिस्ट डॉ. सतीश कुमार का कहना है कि निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। इस वायरस का मुख्य स्त्रोत चमगादड़ है, जो फल खाते हैं। ऐसे चमगादड़ों को फ्लाइंग फोक्स का नाम दिया गया है। यह बीमारी लाइलाज है। संक्रमण के बाद बीमारी को बढ़ने से नहीं रोका गया तो 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मौत हो सकती है। जानवरों से लोगों में फैलता है वायरस
वायरस चमगादड़ और सुअर से फैलता है। फल और सब्जी खाने वाले चमगादड़ और सुअर के माध्यम से निपाह वायरस तेजी से फैलता है। जानवरों और इंसानों में एक दूसरे के बीच तेजी से फैलता है। क्या लक्षण
धुंधला दिखना
सांस लेने में दिक्कत
चक्कर आना
तेज बुखार
सिर में लगातार दर्द रहना सावधानियां
जानवरों के खाए जाने के निशान हों तो ऐसी सब्जियां न खरीदें।
वायरस का शिकार रोगी जानवरों से दूर रहे।
पेड़ से गिरे हुए फल न खाएं।
जहां चमगादड़ अधिक रहते हों वहां खजूर खाने से परहेज करें।