कैप्टन के राज में भी बादलों की बहार, बसें चल रही हैं फुल रफ्तार
पंजाब में सरकार तो बदल गई लेकिन बादलों के बसोंं का जलवा कम नहीं हुआ। कैप्टन अमरिंदर सिंह के शासन में भी बादलों की बसें के टाइम टेबल नहीं बदले हैं।
जालंधर, [सत्येन ओझा]। विधानसभा चुनाव से पहले बादल सरकार की ट्रांसपोर्ट नीति की बखियां उधेड़ने वाले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दावे चुनाव के बाद कमजोर साबित हुए हैं। हकीकत यह है कि राज्यभर के बस अड्डों पर आज भी बादल परिवार की एसी बसों का बोलबाला है। उन्हें पहले की तरह 20 से लेकर 40 मिनट तक का समय सवारियां भरने को मिलता है, जबकि रोडवेज की बसों को महज 10 मिनट दिए जाते हैं।
नहीं बदला बादल परिवार की बसों का टाइमटेबल, रोडवेज बसों को काउंटर पर 10 मिनट, बादलों की बसों को 40
सरकार ने एक साल पूरा होने पर ट्रांसपोर्ट पॉलिसी तो बदल दी, लेकिन रोडवेज बसों, बादल परिवार व अन्य निजी बसों का जो टाइमटेबल बादल सरकार में चल रहा था, उसे नहीं बदला। वह भी तब जब ट्रांसपोर्ट मंत्रालय खुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अधीन है।
नई ट्रांसपोर्ट पॉलिसी के बावजूद पहले की तरह कायम है दबदबा
जागरण ने जालंधर से अमृतसर रूट पर दौ़ड़ने वाली एसी बसों का रिकार्ड खंगाला तो हैरान करने वाले तथ्य सामने आए। रूट पर पूरे दिन में 64 एसी बसें अमृतसर के लिए रवाना होती हैं। इनमें से पंजाब रोडवेज की सिर्फ दो बसों को काउंटर पर सवारियां भरने के लिए बीस मिनट का समय मिलता है। शेष सभी बसों को 10 मिनट से ज्यादा का समय नहीं मिलता। दूसरी ओर बादल परिवार से संबंधित मानक, महाराजा, गॉर्डियन, ताज, कृष्णा, ऑर्बिट बसों को सवारियां भरने के लिए 20 से 40 मिनट मिलते हैं।
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तड़के या देर रात चलती हैं सरकारी बसें, इस समय सवारियां कम
पंजाब रोडवेज व पीआरटीसी की उन्हीं बसों को 15 से 20 मिनट का समय मिलता है, जो आधी रात के बाद और सुबह साढ़े 4.30 बजे तक दौड़ती हैं, क्योंकि इस समय सवारियों की संख्या काफी कम होती है। जिस समय सवारियां सबसे ज्यादा होती हैं, उस समय रोडवेज बसों को महज 10 मिनट से संतोष करना पड़ता है, जबकि बादल परिवार व अन्य निजी बसों को 20-40 मिनट मिलते हैं।
सरकारी बसें खाली, निजी बसों में लगाते हैं स्टूल
निजी बसें ज्यादा सवारियां मिलने पर सीटों के बीच में स्टूल लगाकर भी अतिरिक्त सवारियां भर लेती हैं। फिर भी आज तक इन बसों के खिलाफ किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई।
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समय का खेल
-सुबह 6.50 बजे से लेकर 9.20 बजे तक सिर्फ एक निजी बस मानक कंपनी व डीटीसी को छोड़ बाकी बसें रोडवेज व पीआरटीसी की चलती हैं।
-सुबह 10.20 बजे तक पीआरटीसी की बस जालंधर से अमृतसर रवाना होती है, उसके बाद बादल परिवार की ताज बस को 40 मिनट का समय मिलता है, ये बस 11 बजे अमृतसर के लिए रवाना होती है।
-20 मिनट बाद कृष्णा बस भी बादल परिवार की है। इसी प्रकार दोपहर बाद 3.30 बजे सरकारी बस की रवानगी के बाद ताज बस को सवारियां लेने के लिए 30 मिनट का समय मिलता है।
-शाम 4 बजे ताज बस अमृतसर रवाना होती है। इसके 40 मिनट बाद ऑर्बिट बस 4.40 बजे रवाना होती है। 30 मिनट बाद फिर ताज बस शाम को 5.10 बजे रवाना होती हैं।
ये आंकड़े सिर्फ जालंधर से अमृतसर रूट के हैं। इससे भी बड़ा लाभ निजी बसों को जालंधर से चंडीगढ़ रूट पर मिलता है। यह हाल अकेले जालंधर का नहीं बल्कि पूरे राज्य का है। यही वजह है कि निजी बसें आज भी फायदे में हैं और पंजाब रोडवेज घाटे में दौड़ रही है।
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'' बसों का टाइम टेबल अभी पुराना ही है। टाइम टेबल सरकार के स्तर पर ही तय होता है। जब तक सरकार से नया टाइम टेबल नहीं आता है, तब तक पुराना ही लागू रहेगा।
-बलविंदर सिंह, महाप्रबंधक, रोडवेज डिपो-2।
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'' सूबे की सत्ता में कैप्टन सरकार के आने पर बड़ी उम्मीद थी, लेकिन एक साल में सच्चाई सामने आ गई है। कैप्टन सरकार बादल सरकार से भी एक कदम आगे निकल गई है। आज भी बस अड्डों पर ताज, ऑर्बिट, महाराजा आदि बादल परिवार की बसों का बोलबाला है। अवैध रूप से दौड़ रहीं निजी बसों के परमिट अब भी रद नहीं किए गए हैं।
- मंगत खां, कन्वीनर, पंजाब रोडवेज मुलाजिम साझा एक्शन कमेटी।