नौकरी छोड़ सपनों का भारत बनाने की ओर बढ़े आशीष के कदम
पूजा सिंह, जालंधर लोग हमेशा सिस्टम को कोसते रहते हैं लेकिन कुछेक ही होते हैं जो
पूजा सिंह, जालंधर
लोग हमेशा सिस्टम को कोसते रहते हैं लेकिन कुछेक ही होते हैं जो सिस्टम को बदलने के लिए कदम उठाते हैं। इन्हीं में से एक हैं दिल्ली के मैकेनिकल इंजीनियर आशीष शर्मा। अपनी 45 हजार की नौकरी को दो साल पहले अपने सपनों का भारत बनाने के लिए छोड़ दिया। एक ऐसा भारत जो बाल भिखारियों, गरीबी से मुक्त हो, जहां महिलाएं सशक्त हों। अपने सपना पूरा करने के लिए वह देश भर की पैदल यात्रा पर निकले हैं। 29 राज्यों व 7 केंद्र शासित प्रदेशों की करीब 17 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके वह स्कूल व कॉलेजों के बच्चों को बाल भिख्रारी मुक्त भारत बनाने को लेकर जागरूक करेंगे।
वीरवार को हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर का सफर तय करके जालंधर पहुंचे 27 वर्षीय आशीष ने बताया कि दो साल पहले एक नौ साल का लड़का उनके पास भीख मांगने आया। उसके हाथ उधड़े हुए थे और उसने नशा किया हुआ था। उसे देखकर मैंने बच्चों को इस दलदल से निकालने के लिए काम करना शुरू किया। मैंने द इंस्टीटयूट ऑफ इंजीनियर्स से बीटेक की और बाद में जॉब। जॉब छोड़कर फिर वन गो वन केंपेन इंपैक्ट शुरू किया। पेरेंट्स किसान पिता सुरेश शर्मा व मां नीलम शर्मा ने शुरुआत में तो मुझे खूब डांटा लेकिन मैं अपने लक्ष्य की ओर अडिग रहा।
उन्होंने बताया कि वह दुआएं फाउंडेशन के तहत 14 जून, 2018 को उन्मुक्त दिवस मनाएंगे। इसमें वह सोशल मीडिया की मदद से लोगों को जोड़ रहे हें ताकि वे सब इकट्ठे हों और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाएं। करोड़ों लोग जब एक साथ प्रण लेंगे तो प्रभाव जरूर पड़ेगा। उन्होंने जालंधर में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल व जूनियर मॉडल स्कूल, बीए कॉलेज में स्टूडेंट्स से बात की और कैंपेन का हिस्सा बनने के लिए जागरूक किया।
एप के जरिए बचाएंगे चाइल्ड बेगार्स को
आशीष ने बताया कि वे एक एप बनाने पर भी काम कर रहे हैं जिसकी मदद से बाल भिखारियों को आसानी से बचाया जा सकता है। इसके जरिए पुलिस स्टेशन के आसपास स्कूल या फिर किसी एनजीओ का पांच किमी का दायरा मार्क कर दिया जाएगा। अगर पुलिस में बाल भिखारी का कोई केस आएगा तो उन्हें भी जानकारी पहुंच जाएगी। एनजीओ या फिर स्कूल- कॉलेज के दानी सज्जन बच्चे की मदद के लिए आगे आ सकते हैं।
अब तक 60 हजार बच्चों को कर चुके जागरुक
आशीष ने बताया कि वह अब तक 55 स्कूल कॉलेजों के 60 हजार बच्चों से मिल चुके हैं। भारत में कई ऐसे मुद्दे हैं जिनसे हमें आजादी चाहिए। अगर युवा इसके प्रति जागरूक होकर इनीशिएटिव लें तो हमारा सपनों का भारत जरूर बनेगा।
प्रोफाइल
आशीष शर्मा मूल रूप से दिल्ली के सलेमपुर बदली के रहने वाले हैं। वह सोनीपत में डेन ब्लॉक ब्रेक्स इंडिया लिमिटेड में बतौर मैकेनिकल इंजीनियर कार्यरत थे। उन्होंने दो साल पहले नए भारत के सपने को पूरा करने के लिए नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने 22 अगस्त को दिल्ली से अपना सफर शुरू किया था।