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आर्मी कमांडर ने ने किया मिलिट्री स्टेशनों का किया दौरा

सेना की पश्चिमी कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह ने वज्र कोर ब्यास एवं सूरानुस्सी में स्थित सैन्य प्रतिष्ठानों का दो दिवसीय दौरा किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 06:09 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 06:09 AM (IST)
आर्मी कमांडर ने ने किया मिलिट्री स्टेशनों का किया दौरा

जागरण संवाददाता, जालंधर : सेना की पश्चिमी कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह ने वज्र कोर, ब्यास एवं सूरानुस्सी में स्थित सैन्य प्रतिष्ठानों का दो दिवसीय दौरा किया। वज्र कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल संजीव शर्मा भी उनके साथ थे। वर्तमान सुरक्षा परिस्थितियों एवं आपरेशनल तैयारियों की समीक्षा करने के पश्चात उन्होंने आर्मी स्कूल ब्यास, आर्मी नर्सिग कॉलेज, जालंधर, सिरामनी बिग्रेड के प्रशिक्षण क्षेत्र का भी दौरा किया।

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उन्होंने करतारपुर स्थित जंग-ए-आजादी म्यूजियम में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित दी। आर्मी कमांडर ने वज्र कोर के सैन्य प्रतिष्ठानों की युद्ध संबंधी तैयारियों एवं उच्च स्तरीय प्रशिक्षण के लिए किए गए प्रयासों की प्रशंसा की। अलका सिंह, क्षेत्रीय आवा अध्यक्ष, मुख्यालय पश्चिम कमान ने मिलिट्री नर्सिंग अधिकारियों और सैन्य परिवारों के साथ बातचीत की और उनके द्वारा कोविड-19 की रोकथाम के लिए किए गए उपायों की सराहना की। संचालित की गई 266 बसें, कमाई सभी की कम

जागरण संवाददाता, जालंधर : पंजाब रोडवेज, पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (पीआरटीसी) एवं निजी ऑपरेटर्स ने बसों की संख्या में तो इजाफा कर डाला है, लेकिन यात्री ना बढ़ने से सभी की कमाई कम हो गई है। वीरवार को जालंधर के शहीद ए आजम भगत सिंह इंटरस्टेट बस टर्मिनल से 266 बसें संचालित की गई, जो कि लॉकडाउन खुलने के बाद अभी तक सबसे ज्यादा थी। पंजाब रोडवेज की तरफ से 144 बसें, पीआरटीसी की तरफ से 20 बसें एवं निजी बस ऑपरेटर्स की तरफ से रिकॉर्ड 102 बसें संचालित की गई।

हालांकि पंजाब रोडवेज को 144 बसें संचालित करने के बावजूद मात्र 1782 यात्री ही मिल सके और पंजाब रोडवेज को 1,79,339 की आमदनी हुई। वहीं पंजाब रोडवेज अधिकारियों का दावा है कि अगले कुछ ही दिन में निजी बस ऑपरेटर को संचालित की जाने वाली बसों की संख्या में कटौती करनी होगी, क्योंकि यात्रियों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हो सका है। यात्रियों की औसत उतनी ही है, जितनी पिछले 2 महीने से चली आ रही है। ऐसे में निजी बस ऑपरेटर्स को खर्च निकालना मुश्किल होगा।


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