हिमाचल या कश्मीर के नहीं, अब अमृतसरी सेब का चखिए स्वाद, जल्द होने वाली है मार्केट में एंट्री
जीएनडीयू परिसर में 50 पौधों का एक बाग में फल लगने शुरू हो गए हैं। अब इसके टिशू तैयार करने पर काम चल रहा है। इसके बाद उन्हें किसानों तक पहुंचाया जाएगा ताकि वे भी अपने खेतों में सेब उगा सकें।
हरीश शर्मा, अमृतसर। बाजार में हिमाचल प्रदेश या कश्मीर के सेब का बोलबाला है। मगर अब बहुत जल्द फल की दुकानों पर अमृतसरी सेब भी मिलने लगेगा। सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा। मगर यह सच है। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चर विभाग ने ऐसा संभव कर दिया है।
यहां तक जीएनडीयू परिसर में 50 पौधों का एक बाग भी तैयार किया गया है और उस पर सेब उगने भी शुरु हो गए है। खास बात यह कि सभी 50 पौधे अच्छे से चल पड़े है। अब इसके टिशू तैयार करने पर काम चल रहा है। ताकि जल्द से जल्द टिशू तैयार कर किसानों तक पहुंचाए जाएं और वह अपने खेतों में सेब के पौधे लगा सकते है। यह प्रोजेक्ट सेंटर फार एग्रीकल्चर रिसर्च इनोवेशन के अधीन चल रहा है।
डेढ़ साल से चल रही रिसर्च
एग्रीकल्चर विभाग के हेड व बायोटेक्नोलाजी के प्रो. डा.प्रताप कुमार पत्ती ने बताया कि सेब की खेती अमृतसर और पंजाब में हो सके। इस पर पिछले डेढ़ साल से रिसर्च जारी है। उन्होंने बताया कि सेब के पौधे को सात डिग्री से कम तापमान में 200 घंटे तक सरवाइव करवाना होता है। जिसके बाद पौधो को जमीन में बीजा गया। डा. पत्ती ने बताया कि अब इसके टिशू पर काम चल रहा है। पौधे की जड़ को तैयार किया जा रहा है। क्योंकि अमृतसर और पंजाब में गर्मी अधिक पड़ती है। ऐसे में पौधे की जड़ को मौसम के मुताबिक बनाया जा रहा है। जिससे कि यहां कि मिट्टी में भी सेब का पौधा आसानी से पनप सके।
छोटे किसानों को मिलेगा फायदा
डा. प्रताप कुमार पत्ती ने बताया कि एक एकड़ जमीन पर करीब 100 सेब के पौधे लगाए जा सकते हैं। एक पेड़ से 5 साल के बाद 50 से 80 किलो तक सेब की पैदावार होती है। ऐसे में अगर छोटे किसान अपनी जमीनों पर सेब की खेती करेंगे तो उन्हें काफी ज्यादा फायदा होगा। अगले साल से जीएनडीयू की ओर से सेब के पौधों के टिशू किसानों को देने भी शुरू कर दिए जाएंगे। इसके अलावा अगर कोई किसान इस खेती के बारे में किसी भी तरह की जानकारी भी लेना चाहता है तो उसे पूरी ट्रेनिंग मुहैया करवाई जाएगी।
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