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पेड़ को कैसे बचाते हैं इनसे सीखिए... इतिहास समेटे है यह पेड़, तस्वीर कहती है बहुत कुछ

बरगद का यह पेड़ 100 साल से भी अधिक पुराना है। सुदर्शन कुमार अग्रवाल ने बचपन से ही इसी तरह हरा-भरा देखा है। बचपन से यादें जुड़ी होने के कारण उन्होंने इस पेड़ को कटने नहीं दिया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 02:11 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 02:11 PM (IST)
पेड़ को कैसे बचाते हैं इनसे सीखिए... इतिहास समेटे है यह पेड़, तस्वीर कहती है बहुत कुछ

जालंधर [पवन यादव]। एक ऐसी तस्वीर जो आपको पेड़ का महत्व बताती है और आधुनिकता की दौड़ में उसेे बचाए रखने का तरीका भी। जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन के निकट स्थित मंडी फेंटनगंज में किरयाना कारोबारी सुदर्शन कुमार अग्रवाल ने जब अपनी जमीन पर इमारत खड़ी करनी चाही तो देखा कि उनकी जमीन पर एक बरगद का वृक्ष लगा है। सभी ने उन्हें सलाह दी कि इसे काट दें लेकिन वे नहीं माने।

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उन्होंने इमारत का निर्माण ही इस तरह से किया कि वृक्ष को काटना नहीं पड़ा। वे बताते हैं कि बरगद का यह पेड़ 100 साल से भी अधिक पुराना है। उन्होंने बचपन से ही इसी तरह हरा-भरा देखा है। बचपन से यादें जुड़ी होने के कारण उन्होंने इस पेड़ को कटने नहीं दिया। सुदर्शन कुमार उन लोगों के लिए एक मिसाल हैं जो इमारत बनाने के लिए बड़े-बड़े पेड़ तक काट देते हैं।

बकौल सुदर्शन कुमार इस पेड़ से उनकी भावनाएं जुड़ी हैं। यह पेड़ उनके व उनके पूर्वजों का इतिहास समेटेे हुए है। इस पेड़ ने न जाने कितनी पीढ़ियों को देखा। जब उन्होंने यहां मकान बनाने की ठानी तो पेड़ इसके निर्माण में आड़े आ रहा था, लेकिन वह किसी भी हाल में पेड़ को कटता नहीं देख सकते थे, क्योंकि इसी पेड़ की छांव में उनका बचपना बीता। इसी पेड़ की छांव में उनके पूर्वज बैठा करते थे। इस पेड़ के नीचे उन्होंने चलना सीखा।

सुदर्शन कुमार ने बताया कि जब उन्होंने मकान निर्माण के दौरान पेड़ बचानी की ठानी तो उन्हें इसको बचाने के तरीकोंं के सुझाव भी मिलते गए। पेड़ बचाने के लिए बेशक भवन निर्माण में खर्च ज्यादा आया, लेकिन उन्हें सुकून है आज भी इस पेड़ की छाया उन पर पड़ती है जो कभी उनके पूर्वजों पर पड़ती थी।

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