मेहनत से बदलीं अमनदीप ने किस्मत की लकीरें
जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का फिर फिजूल है कद देखना आसमान का..अमनदीप की कहानी भी कुछ ऐसी है।
जगदीश कुमार, जालंधर : जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर फिजूल है कद देखना आसमान का..। कुछ ऐसा ही जज्बा दिखाया है जिला जालंधर के आदमपुर क्षेत्र से सटे गांव लेसड़ीवाल की अमनदीप कौर धालीवाल ने। उच्च शिक्षित अमनदीप खेतीबाड़ी के साथ सूअर पालन भी कर रही हैं। कोरोना काल में लाखों रुपये का घाटा सहने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मेहनत से किस्मत की लकीरें बदल डालीं। कारोबार फिर से शुरू किया। अब वह कई लोगों को रोजगार भी मुहैया करवा रही हैं। उनसे सूअर खरीदने कई राज्यों के लोग आते हैं।
अमनदीप बताती हैं कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी राजस्थान से एमएससी आइटी और एमसीए करने के बाद अज्ञानता का अंधेरा दूर करने की ठानी। श्री मुक्तसर साहिब के खालसा कालेज में अध्यापन शुरू किया। इस दौरान पीएचडी की पढ़ाई भी पूरी की। वर्ष 2014 में गांव लेसड़ीवाल में शादी हुई। पति खुशपाल सिंह संघा कनाडा में रहते हैं। ससुराल परिवार भी अधिकतर कनाडा में ही रहता है। गांव की पुश्तैनी जमीन पर उन्होंने खेतीबाड़ी शुरू की। वह कुछ अलग हटकर करना चाहती थीं। वर्ष 2015 में पति ने सूअर पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया। गड़वासू लुधियाना से सूअर पालन का प्रशिक्षण लिया और देश के कई नामी फार्म हाउस के दौरे भी किए। फिर 2017 में गांव में फार्म हाउस बनाया और सूअर पालन का काम शुरू किया। शुरू में काफी दिक्कतें आई। गड़वासू व पशुपालन विभाग से डा. प्रभजोत सिंह, डा. विनीत इंद्र, डा. निराआंसल, डा. शुवंत कौर, हरदेव सिंह गिल, डा. अमित शर्मा, डा. परविदर कौर, डा. यशपाल बंगड़, डा. कंचन संधू व रमनदीप कौर ने पूरा सहयोग दिया।
अमनदीप बताती हैं कि कारोबार अच्छा चल रहा था और कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा था। सूअर खरीदने पंजाब के साथ ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश और नगालैंड के व्यापारी भी उनके पास आते थे। फिर कोरोना काल शुरू हुआ और कारोबार को खासा झटका लगा। दूसरे राज्यों से संपर्क टूट गया और कारोबार ठंडा पड़ गया। इस दौरान करीब 70 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
किस्मत बदल लेते हैैं जिनमें मेहनत करने का हुनर होता है। अमनदीप ने भी हिम्मत नहीं हारी। वह बताती हैं कि पंजाब कृषि प्रधान प्रदेश है और यहां की महिलाएं खेतों में पसीना बहाने में पीछे नहीं रहती हैैं। इसी जज्बे के साथ उन्होंने दोबारा गड़वासू से पांच सूअर लाकर काम शुरू किया। अब फिर सूअर खरीदने के लिए कई राज्यों से व्यापारी उनके फार्म पर पहुंचने लगे हैं। सूअर पालन के कारोबार के कारण आसपास के गांवों के कई लोगों को भी रोजगार मिला है। खास बात यह है कि सूअर फीड पर पाले जा रहे हैं। कड़ी मेहनत से लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।