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जालंधर नगर निगम हाउस की बैठक में नहीं पहुंचे अकाली पार्षद, बीजेपी ने विज्ञापन ठेके पर उठाए सवाल

नगर निगम की हाउस मीटिंग में भाजपा पार्षद वरेश मिंटू ने शहर में माडल टाउन जोन के विज्ञापन ठेके में गड़बड़ी का आरोप लगाया। वहीं अकाली दल का कोई पार्षद मीटिंग में नहीं पहुचा। मीटिंग में मेयर का अपने ही पार्षदों ने विरोध कर दिया।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 08:58 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 08:58 AM (IST)
जालंधर नगर निगम हाउस की बैठक में नहीं पहुंचे अकाली पार्षद, बीजेपी ने विज्ञापन ठेके पर उठाए सवाल
नगर निगम की हाउस बैठक केवल 40 मिनट तक चली। (फाइल फोटो)

जालंधर, जेएनएन। मंगलवार को केवल 40 मिनट तक चली नगर निमग हाउस की बैठक से अकाली पार्षद नदारद दिखे। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने शहर में विज्ञापन ठेके में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। इस दौरान मीटिंग को जल्दी खत्म करने पर मेयर जागदीश राज राजा को अपने ही पार्षदों के विरोध का सामना करना पड़ा। वहीं कुछ ने मेयर का समर्थन भी किया, जिससे कांग्रेस पार्षद दो हिस्सों में बंट गए।

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मिंटू ने उठाया विज्ञापन घोटाला, मेयर बोले अगली मीटिंग में जवाब दूंगा

भाजपा पार्षद वरेश मिंटू ने शहर में माडल टाउन जोन के विज्ञापन ठेके में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए कहा कि एडवरटाइजमेंट एडहाक कमेटी की चेयरपर्सन नीरजा जैन भी अब तो कह चुकी हैं कि विज्ञापन ठेकेदार गड़बड़ी कर रहा है तो फिर एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा। मिंटू ने कहा कि सड़कें बनना रुटीन काम है और इसके लिए मेयर-कमिश्नर आपस में क्रेडिट लेते रहे उन्हें कोई एतराज नहीं है लेकिन निगम में फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी कुछ किया जाए।

कोई भी अकाली पार्षद मीटिंग में नहीं आया

मीटिंग में अकाली दल का कोई भी पार्षद शामिल नहीं हुआ। अकाली पार्षद दल के नेता परमजीत सिंह रेरू, डा. तमनरीत कौर, जसपाल कौर भाटिया, जसपाल कौर नागरा, बलजिंदर कौर मीटिंग में नहीं पहुंचे। भाजपा से अलग होने के बाद नगर निगम में अकाली दल के तेवर अभी तक ठंडे हैं। छह नवंबर की मीटिंग में भी अकाली दल के तीन पार्षद ही आए थे लेकिन किसी ने भी निगम के खिलाफ मोर्चा नहीं खोला था।

दो हिस्सों में बंटे कांग्रेस पार्षद

मीटिंग खत्म होने का अहसास होते ही कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद देसराज जस्सल ने मेयर जगदीश राज राजा पर सीधा हमला बोल दिया। देसराज जस्सल ने कहा कि अगर आठ महीने पुराने प्रस्ताव ही पास करने थे तो यह छह नवंबर की मीटिंग में भी किया जा सकता था। 15 मिनट में अगर प्रस्ताव पास करने की औपचारिकता ही निभानी थी तो उसी दिन पास कर दिए होते। इसके लिए दोबारा मीटिंग बुलाने का तामझाम क्यों किया गया। उधर, जब मामला भड़का तो मेयर समर्थक पार्षद मनमोहन राजू, तरसेम लखोत्रा ने कमान संभाली और जस्सल को घेरना शुरू कर दिया। इससे कांग्रेस के पार्षद दो खेमों में बंट गए।

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