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Natural farming की तरफ न लौटे तो 40 फीसद युवाओं की प्रजनन शक्ति पर पड़ेगा असर

सुल्तानपुर लोधी में श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व को समर्पित कुदरती खेती कुदरती सेहत कार्यशाला का आगाज हुआ। इसमें प्राकृतिक खेती पर जोर दिया गया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 03:46 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 03:46 PM (IST)
Natural farming की तरफ न लौटे तो 40 फीसद युवाओं की प्रजनन शक्ति पर पड़ेगा असर
Natural farming की तरफ न लौटे तो 40 फीसद युवाओं की प्रजनन शक्ति पर पड़ेगा असर

सुल्तानपुर लोधी [हरनेक सिंह जैनपुरी]। गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व को समर्पित चार दिवसीय 'कुदरती खेती कुदरती सेहत' कार्यशाला का शुक्रवार गुरुद्वारा श्री बेर साहिब के भाई मर्दाना दीवान हॉल में आगाज हुआ। उद्घाटन पर्यावरण प्रेमी पद्मश्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने किया। पहले दिन पंजाब, हरियाणा, हिमाचल जम्मू कश्मीर, दिल्ली व मुंबई के अलावा स्थानीय खेती और कुदरती सेहत से जुड़े लगभग 450 कृषि माहिर व पर्यावरण प्रेमियों ने कार्यशाला में हिस्सा लिया। 

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संत सीचेवाल ने कहा कि खेती विरासत मिशन 15 सालों से इस कार्य में लगा है कि लोगों की सेहत में सुधार लाया जाए, ताकि उन्हेें दवाइयों की जगह शुद्ध भोजन मिले। प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक तारा चंद बेल जी ने यदि कुदरती खेती (Natural farming) की तरफ न लौटे तो कीटनाशक और पेस्टीसाइड के बढ़ रहे प्रकोप से वर्ष 2027 तक 40 फीसद युवाओं में प्रजनन शक्ति कम हो सकती है। हर गली मोहल्ले में आइवीएफ सेंटर खुलते नजर आएंगे।

बेल जी ने कहा कि कुदरती खेती से न सिर्फ स्वास्थ्य ही तंदुरुस्त कर सकेंगे, बल्कि किसान को आत्महत्या की राह से मोड़ कर खुशहाली की ओर ले जाने में भी सफल हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि हमारे खेत की मिट्टी में जीवाणु सही मात्रा में होंगे तो कम जमीन वाले भी अधिक पैदावार ले सकते हैं। उन्होंने अपने अनुभव सांझा करने के साथ-साथ अपने खेत की उपज के लाइव डेमो भी दिखाए और बताया कि अब सेहत को ध्यान में रख पैदावार करना समय की जरूरत है। यही नहीं, यदि हम अब भी पुरातन खेती की तरफ वापस न आए तो आने वाला समय बेहद भयानक होगा। इस खतरनाक रुझान को रोकने के लिए हर किसान का जागरूक होना होगा।

पेस्टीसाइड कंपनियां कुदरती खेती के रास्ते में बड़ी रुकावट: डॉ. ठाकुर

पीजीआइ के डॉक्टर जेएस ठाकुर ने कहा कि अनेक भयानक बीमारियां हमारे शरीर में दाखिल हो चुकी हैं। इसका इलाज कुदरती खेती से ही संभव है, लेकिन पेस्टीसाइड कंपनियां कुदरती खेती के रास्ते में बड़ी रुकावट बन रही हैं। पेस्टीसाइड कंपनियां नहीं चाहतीं कि कुदरती खेती का प्रचार-प्रसार हो। उन्होंने कहा कि कुदरती खेती की खोज के लिए यूनिवर्सिटी भी नाममात्र खर्चा कर रही हैं। अब एक सेंटर बनाया जा रहा है, जिससे कुदरती खेती की तरफ लोगों के लौटने की उम्मीद बंधी है।

कुदरती खेती की ओर लौटना ही एक मात्र विकल्प : डॉ राजबीर

भगत पूर्ण सिंह पिंगलवाड़ा के वक्ता डॉ. राजबीर सिंह ने कहा कि यदि हम धरती से नहीं जुड़ेंगे तो हम डॉक्टरों की दवाइयां और बीमारियों के साथ ही पूरी जिंदगी जूझते रहेंगे। अब कुदरती खेती की ओर लौटना ही एक मात्र विकल्प है। आज समय की जरूरत है कि खेती विरासत मिशन की तरफ से किए जा रहे कार्यों में हर व्यक्ति भागीदार बने। खेती विरासत मिशन के संस्थापक उमेंद्र दत्त ने कहा कि चार दिवसीय कार्यशाला में देश भर आए कृषि वैज्ञानिकों का आभार जताया।

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