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दिव्यांगों के लिए एक्ट, पर सुविधाएं नदारद

चुनावी साल में हर वर्ग को खुश करने में जुटी सरकार दिव्यांगों को सुविधाएं नहीं दे रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 07:14 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 07:14 PM (IST)
दिव्यांगों के लिए एक्ट, पर सुविधाएं नदारद
दिव्यांगों के लिए एक्ट, पर सुविधाएं नदारद

जगदीश कुमार, जालंधर

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राज्य सरकार चुनावी साल में हर वर्ग को खुश करने में जुटी हुई है। हर साल दिव्यांग दिवस पर सरकार के प्रतिनिधियों की ओर से किए गए वादों की अगले ही दिन हवा निकल जाती है। पिछले लंबे अर्से से दिव्यांग मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, परंतु सरकार अनदेखी कर रही है। दिव्यांगों के लिए एक्ट बनाए गए, लेकिन उन्हें सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। यहां तक कि सरकारी व निजी संस्थानों में रैंप तक की सुविधा तक नहीं दी गई है।

राज्य सरकार दिव्यांगों के लिए सरकारी कार्यालयों में सुविधाएं भी मुहैया करवाने का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाई है। वहीं कोरोना काल में शिक्षा से पिछड़े दिव्यागों की भरपाई में करने में भी सरकार नाकाम साबित हो रही है। सरकार की नीतियों के चलते हजारों दिव्यांग पेंशन की सुविधा से वंचित रह रहे हैं। समाधान के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारी एक दूसरे पर बात डाल कर पल्ला झाड़ रहे हैं।

दिव्यांगों के लिए पंजाब सरकार के बनाए गए सलाहकार बोर्ड के माहिर सदस्य अमरजीत सिंह आनंद कहते हैं कि राज्य में करीब दस लाख दिव्यांग बच्चों की कोरोना काल में पढ़ाई प्रभावित हुई। इससे वो दूसरे के मुकाबले काफी पिछड़ गए। विभाग की ओर से इन बच्चों की पढ़ाई के लिए पुख्ता प्रयास नहीं किए गए। दिव्यांगों के अधिकारों को लेकर सेहत व सामाजिक सुरक्षा विभाग सौतेला व्यवहार कर रहा है। स्पेशल बच्चों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने में सेहत विभाग बहुत बड़ा खेल कर रहा है। सेहत विभाग उन्हें पांच साल के लिए अस्थाई प्रमाण पत्र जारी कर रहा है। इसके आधार सामाजिक सुरक्षा विभाग उन्हें पेंशन देने से मना कर रहा है। राज्य में दस हजार दिव्यांगों को अस्थाई प्रमाण पत्र जारी किया जा चुका है। किसी भी कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है। मंदबुद्धि बच्चे जिदगी भर इस बीमारी के दर्द झेलते हैं। हालांकि कुछ बच्चों की बौद्धिक क्षमता में विस्तार होता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अलोक शेखर व सामाजिक सुरक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डीपीएस खरबंदा के साथ बैठक की। उन्होंने बात एक दूसरे विभाग पर डाली और जांच के बाद समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है। बस पकड़ने में दिव्यागों को होती है परेशानी, नहीं हैं लोअर फ्लोर वाली बसें

हैंडीकैप्ड वेलफेयर सोसायटी के प्रधान एडवोकेट अशोक शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं। दिव्यांग अधिकार अधिनियम (आरपीडब्ल्यूडी) एक्ट 2016 के मुताबिक दिव्यागों के लिए सरकारी कार्यालयों व निजी संस्थानों में 2022 तक तमाम सुविधाएं देने की हिदायतें दी गई थीं। 2021 खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है और नतीजे ढाक के तीन पात हैं। सरकारी व निजी संस्थानों में रैंप की सुविधाएं कोसों दूर हैं। लोअर फ्लोर वाली बसें नहीं मंगवाई जा रही। ज्यादातर बस स्टैंड पर बस पकड़ने के लिए दिव्यागों को खासी परेशानियों से जूझना पड़ता है। वहीं बैंकों ने एटीएम में दिव्यांग व्हीलचेयर सहित नहीं पहुंच सकते हैं।


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