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विवादों में चल रही आप में निजी विचार मचा रहे हाहाकार

कभी कांग्रेस के साथ जा मिलने की बात, तो कभी 2020 सिख रैफरैंडम पर विवाद। कभी कोई लीडरशिप से सहमत नहीं तो कभी कोई खुद को अलग करने की दे रहा चेतावनी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 07:50 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 01:25 PM (IST)
विवादों में चल रही आप में निजी विचार मचा रहे हाहाकार
विवादों में चल रही आप में निजी विचार मचा रहे हाहाकार

मनुपाल शर्मा, जालंधर

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कभी कांग्रेस के साथ जा मिलने की बात, तो कभी 2020 सिख रैफरैंडम पर विवाद। कभी कोई लीडरशिप से सहमत नहीं तो कभी कोई खुद को अलग करने की दे रहा चेतावनी। लगातार चुनाव हारने और इस्तीफों के झटके सह रही आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई अभी भी एकमत नहीं है। आप पंजाब विधानसभा में विपक्ष में बैठी है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष सुखपाल ¨सह खैहरा अधिकतर मौकों पर अकेले ही खड़े नजर आते हैं। विवाद उठता है तो पार्टी लीडरशिप उनके बयान अथवा तर्क को उनकी निजी बता कर खुद को अलग रखने की कोशिश करती नजर आती है। भगवंत मान का तो गणित ही फिलहाल समझ से परे नजर आ रहा है और अन्य सांसद गहन चुप्पी में हैं।

जिस बीते संसदीय चुनाव के जरिए पंजाब में धमाकेदार एंट्री की थी, अब वह फिर से सिर पर है, लेकिन कैडर का उत्साह तो लीडरिशप की नूरां कुश्ती में ही उलझा नजर आ रहा है। विधानसभा चुनाव में दावे सरकार बनाने के थे और निगम चुनावों से पूर्व मेयर अपना बनाने की बातें, लेकिन न तो दावे ही पूरे हुए और न ही बातें ही कहीं सच होती दिखाई दीं। डेढ़ वर्ष में ही विधानसभा चुनाव और निगम चुनाव बुरी तरह से हारने के बाद लगातार इस्तीफों की बाढ़ आई और अकाली दल सुप्रीमो सुखबीर बादल ने आप के दोआबा के गढ़ में ही सेंध लगा डाली। हालांकि शाहकोट उपचुनाव में फायदा अकाली दल को भी नहीं हुआ, लेकिन आप 41 हजार से दो हजार से भी नीचे आ लुढ़की। बदलाव फिर भी कुछ नहीं हुआ और 2020 सिख रैफरैंडम के मसले पर सुखपाल खैहरा ने कहा कि आप पंजाब के सह अध्यक्ष डा. बलबीर ¨सह को उनके बारे में कुछ भी कहने से पहले उनके साथ संपर्क कर सच्चाई जाननी चाहिए थी, लेकिन पार्टी लीडरशिप कांग्रेस और अकाली भाजपा के ट्रैप में फंस गई।

हालांकि कुछ ही समय पहले कमान संभालने वाले आप पंजाब के सह अध्यक्ष डा. बलबीर ¨सह का तर्क है कि राजनीति में भी निजी तर्क होते हैं और अगर कोई निजी तर्क देता है तो यह उसकी निजी राय है। पार्टी के लिए यह बेहद जरूरी है कि सभी पार्टी की राष्ट्रीय नीति के मुताबिक चलें और फार्टी प्लेटफार्म को ही प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि सांसदों समेत तमाम लीडरशिप से यही कह रहा हूं कि पार्टी लाइन पर ही चलें।

मीडिया में खैहरा का बयान आने के बाद कांग्रेस और अकाली दल को आप के खिलाफ एक मौका मिल गया। जबकि खैहरा बार बार कह रहे हैं कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। मैंने कभी 2020 सिख रैफरैंडम का समर्थन नहीं किया। खैहरा के बयान पर बवंडर मचा तो पंजाब के सह प्रधान बलबीर ¨सह ने बयान दे दिया कि यह खैहरा की निजी राय हो सकती है, पार्टी का इससे लेना देना नहीं। इस पर खैहरा का बयान आया कि बलबीर ¨सह को उनसे बात करके जानना चाहिए था कि बयान क्या था, बिना बातचीत किए किए बयान देकर विरोधियों को बोलने का मौका दे दिया गया। इस बारे में खैहरा ने कहा है कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। सरकार मामले की जांच कराए, अगर कुछ गलत है तो मैं सामना करने को तैयार हूं।


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