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348 अवैध कालोनियों की निशानदेही के लिए बनेगी संयुक्त टीम

नगर निगम की हद में आने वाली 348 अवैध कॉलोनियों का खसरा नंबर पता करने और कॉलोनियों की निशानदेही कर राजस्व रिकार्ड में एंट्री करने के लिए नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम बनेगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 04:33 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 04:33 PM (IST)
348 अवैध कालोनियों की निशानदेही के लिए बनेगी संयुक्त टीम
348 अवैध कालोनियों की निशानदेही के लिए बनेगी संयुक्त टीम

जागरण संवाददाता, जालंधर : नगर निगम की हद में आने वाली 348 अवैध कॉलोनियों का खसरा नंबर पता करने और कॉलोनियों की निशानदेही कर राजस्व रिकार्ड में एंट्री करने के लिए नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम बनेगी। बीते मंगलवार को चंडीगढ़ में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी निकाय विभाग के साथ निगम कमिश्नर दीपर्वा लाकड़ा की हुई बैठक में यह फैसला लिया गया था। वीरवार को जिला प्रशासन ने अवैध कॉलोनियों का खसरा नंबर देने के लिए निगम प्रशासन को एक पत्र भी लिखा है।

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इस संबंध में पूछने पर नगर निगम कमिश्नर लाकड़ा ने बताया कि उन्होंने डीसी व¨रदर शर्मा को इस मामले में संयुक्त टीम बनाए जाने की जानकारी दे दी है। जिला प्रशासन का तहसीलदार और निगम की बि¨ल्डग ब्रांच का ड्राफ्टसमैन अवैध कालोनियों की सूची के मुताबिक निशानदेही करेंगे। इन कालोनियों का खसरा नंबर का पता लगाकर इसकी राजस्व रिकार्ड में इंट्री की जाएगी। इस मामले में दोनों अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर सहित पूरी रिपोर्ट निगम प्रशासन और जिला प्रशासन को भी सौंपी जाएगी ताकि भविष्य में कोई तकनीकी दिक्कत पेश न आए। कमिश्नर दीपर्वा लाकड़ा का कहना है कि खसरा नंबर का रिकार्ड जिला प्रशासन के पास होता है। निगम का स्टाफ तहसीलदार के साथ मौके पर जाकर अवैध कालोनियों की निशानदेही करवा देगा।

गौरतलब है कि नगर निगम प्रशासन ने जिला प्रशासन को अगस्त के अंतिम सप्ताह में शहर में बनी 348 अवैध कालोनियों की सूची सौंपी थी। इस सूची में अवैध कालोनियों में रजिस्ट्रिी पर पूरी तरह रोक लगाने के निर्देश जारी किए गए थे। सूत्रों के मुताबिक जिला प्रशासन ने इसके बावजूद कुछ मामलों में अवैध कालोनियों की रजिस्ट्रिी की थीं। जिला प्रशासन का तर्क था कि निगम प्रशासन ने जिन अवैध कालोनियों की सूची सौंपी है, उनके खसरा नंबर मुहैया नहीं कराए गए हैं। बिना खसरा नंबरों के जिला प्रशासन के लिए यह पता लगाना मुश्किल होगा कि कौन सी रजिस्ट्री नहीं करनी है।


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