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तीन साल में सड़क हादसों में 250 लोगों ने गंवाई जान

शहर में हर साल सैकड़ों जानें लापरवाही की बलि चढ़ जाती हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 06:00 AM (IST)
तीन साल में सड़क हादसों में 250 लोगों ने गंवाई जान
तीन साल में सड़क हादसों में 250 लोगों ने गंवाई जान

सुक्रांत, जालंधर

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शहर में हर साल सैकड़ों जानें लापरवाही की बलि चढ़ जाती हैं। कहीं बदहाल सड़कें मासूमों की जिदगी खत्म कर रही हैं तो कहीं पर नियमों की अनदेखी जानलेवा साबित होती है। हजारों लोगों की जिदगी का सफर सड़कों पर ही खत्म हो जाता है। इसके बावजूद न तो लोग सुधरे, न अफसर सुधरे और न ही शहर की ज्यादातर सड़कें ठीक हुई हैं। पिछले तीन साल में सड़क हादसों में 250 लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि 520 लोग घायल हो चुके हैं।

शहर के अंदर ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जहां पर टूटी सड़कें न हों। कहीं-कहीं तो सड़कों की हालत बद से बदतर हो चुकी है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इन सड़कों पर लोग अकसर हादसों के शिकार हो जाते हैं। कभी-कभी राजनीति चमकाने या लोगों को शांत करने के लिए सड़कें बनाई जाती हैं, लेकिन वहां पर भ्रष्टाचार सही सड़कें बनाने नहीं देता। जरा सी बारिश में सारा विकास बह जाता है। मुख्य मार्गो की हालत और भी बदतर है। तेज रफ्तार वाहन टूटी व बिना लेवल की सड़कों पर अकसर अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं और नतीजा यह होता है कि मासूम जिदगियां मौत के आगोश में समा जाती हैं। वहीं यातायात नियमों का उल्लंघन करने में तो शहर के लोग किसी से कम नहीं हैं। हेलमेट पहनना ज्यादातर लोग अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। पुलिस चालान काटती है, लेकिन लोग उनकी भी परवाह नहीं करते। आधे शहर की ट्रैफिक लाइटें आए दिन खराब रहती हैं। इस लापरवाही के लिए सिर्फ सरकारी तंत्र ही दोषी नहीं है, बल्कि वे लोग भी हैं जो जानबूझ कर नियम तोड़कर हादसों को न्यौता देते हैं। सड़कों की खामियां

- घटिया सामग्री का हो रहा इस्तेमाल

- शहर की कई मुख्य सड़कें टूटी हुई हैं

- सड़कों का लेवल ठीक नहीं है

- सड़क से पानी की निकासी का शहर में नहीं है इंतजाम शहर की मुख्य खस्ताहाल सड़कें

- बस स्टैंड-गढ़ा रेलवे क्रासिग रोड

- कपूरथला रोड-सर्जिकल कांप्लेक्स रोड

- ज्योति चौक-स्काईलार्क चौक रोड

- अलास्का चौक से बीएसएफ चौक

- शास्त्री मार्केट चौक से अलास्का चौक

- शास्त्री मार्केट चौक से कमल पैलेस चौक

- एसबीआइ मुख्य शाखा से प्लाजा चौक रोड जहां अकसर खराब रहती हैं ट्रैफिक लाइटें

पटेल चौक, किशनपुरा चौक, अर्बन एस्टेट फेज-वन चौक, जेल चौक, सतलुज सिनेमा चौक, श्री गुरु रविदास चौक, लम्मा पिड चौक, लिक रोड, नकोदर रोड टी प्वाइंट व बीएसएफ चौक 15 साल में धरातल पर नहीं आई योजना

बरसाती पानी की निकासी के लिए स्ट्राम सीवर लाइन के विस्तार की योजना बनाई गई थी। बीते 15 साल में इसका काम ही शुरू नहीं हो पाया। हालांकि बीते साल दो जगह पर प्रोजेक्ट शुरू हुआ है, लेकिन बाकी जगह की प्लानिग ही नहीं है। दुर्घटनाओं के यह हैं कारण

शहर के मुख्य मार्गो पर सबसे बड़ी परेशानी तेज रफ्तार और योजना के अभाव में बने रास्ते हैं। रामा मंडी चौक, पीएपी चौक और चौगिट्टी चौक पर एक लेन पर ही बाइक से लेकर ट्रक तक चलते हैं, जो दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण हैं। वहीं चौक के एक हिस्से से दूसरी तरफ जाने के लिए मुख्य मार्ग के अलावा कोई विकल्प नहीं है। यहां से तेज रफ्तार से वाहन निकलते हैं और मुड़ने वाले वाहनों को देख नहीं पाते। वहीं फोकल प्वाइंट पर अनियोजित ढंग से बनी सड़कें मुख्य समस्या हैं। एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए लंबा रास्ता तय करने के बजाय लोग डिवाइडर पार करते हैं, जो दुर्घटना का कारण बनते हैं। यही हाल अन्य प्वाइंट्स का भी है। लोग भी लोग भी ट्रैफिक सिग्नल, रिफ्लेक्टर, जरूरी दिशा-निर्देश, सूचना पट्ट का पालन नहीं करते और हाईवे पर डिवाइडर पार कर सड़क की दूसरी ओर जाते हैं। पैदल व दोपहिया वाहन चालक सबसे ज्यादा हादसों के शिकार

हाईवे और शहर की अंदरूनी सड़कों पर बीते तीन साल में हुए हादसों में मरने वाले 250 लोगों में से 87 लोग पैदल चलने वाले हैं। वहीं 83 दोपहिया वाहन चालकों ने अपनी जान गंवा दी। 80 लोग चौपहिया वाहनों में सवार थे, जिन्होंने सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाई। फैक्ट फाइल

- वर्ष 2018 में 110 लोगों की मौत हुई, 215 लोग घायल हुए

- वर्ष 2019 में 95 लोगों की मौत हुई, 190 लोग घायल हुए

- वर्ष 2020 में 45 लोगों की मौत हुई, 115 लोग घायल हुए


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