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नशामुक्ति केंद्र बना खामियों की खान

By Edited By: Published: Wed, 30 Jul 2014 02:06 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jul 2014 02:06 AM (IST)
नशामुक्ति केंद्र बना खामियों की खान

जागरण संवाददाता, जालंधर

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सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर के सहयोग से ईएसआइ अस्पताल में चल रहा नशा छुड़ाओ केंद्र खामियों की खान बन चुका है। मरीज सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं और अधिकारी कागजी कार्रवाई कर दामन बचाने में लगे रहते हैं।

मरीजों को इलाज की सुविधा कम और परेशानियां अधिक झेलनी पड़ती हैं। सुविधाओं के अभाव के चलते नशा छोड़ने आए दो युवक नशा छुड़ाओ केंद्र से भाग भी चुके हैं। एक ने आत्महत्या का प्रयास किया तो एक ने मौत को भी गले लगाया। सिविल अस्पताल प्रशासन ने नशा छुड़ाओ केंद्र में फार्मासिस्ट की तैनाती की थी। चंद दिनों बाद से वह ड्यूटी से नदारद हैं।

मरीजों की जुबानी परेशानियां

-पर्ची बनवाने, टेस्ट करवाने व दवा लेने के लिए ईएसआइ से सिविल अस्पताल का सफर तह करना पड़ता है।

-निम्नस्तरीय खाना परोसा जाता है।

-शौचालयों में गंदगी का आलम है।

-स्टाफ व पुलिस गार्द का मरीजों के साथ कड़वा रवैया।

-छुंट्टी के दिन डॉक्टर नहीं आते राउंड करने।

-एक-एक काउंसलर, नर्स व दर्जा चार के सहारे चल रहा है वार्ड।

-शौचालयों में छिपकर कुछ मरीज करते हैं धूमपान।

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सेहत विभाग को स्टाफ की कमी पूरी करने के लिए पत्र लिखा है। हाल में हुए हादसों के बाद मौके पर तैनात स्टाफ व पुलिस प्रशासन को मरीजों व उनके परिजनों के साथ नरम रवैया अख्तियार करने की बात कही गई है। इस संबंध गार्द के मामले को लेकर पुलिस प्रशासन को भी सूचित किया गया है। खाने के सैंपल भरे गए थे।

'डॉ. आरएल बस्सन, सिविल सर्जन, जालंधर।'


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