आधा सीजन बीता, पौंग बांध में मात्र 27 फीट हुआ जलभराव
दातारपुर ब्यास नदी पर बनाए गए मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे बड़े बांध पौंग
सरोज बाला, दातारपुर
ब्यास नदी पर बनाए गए मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे बड़े बांध पौंग बांध में गत 20 जून से जलभराव सीजन शुरू हो गया है और यह सीजन 20 सितंबर यानी तीन महीने तक चलेगा। मगर, मौसम विभाग की भविष्यवाणी की इस साल मानसून की बारिश जोरदार होगी, अभी तक गलत साबित हुई है। गत डेढ़ महीने में पौंग बांध का आधा जलभराव सीजन बीत गया है और बांध में मात्र 27 फीट जलस्तर ही बढ़ा है, जो अपर्याप्त है। गत 20 जून को बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में सुबह 6 बजे 1284.49 फीट जलस्तर रिकार्ड किया गया था। उस समय झील में मात्र 2190 क्यूसिक पानी की आमद हो रही थी और 8009 क्यूसिक पानी बांध से डिस्चार्ज हो रहा था।
उधर, 3 अगस्त को बांध की झील में सुबह 6 बजे 1311.94 फीट ही जलस्तर रिकार्ड किया गया है। इस समय बांध में कुल 14224 क्यूसिक पानी की आमद हो रही है और बांध की टर्बाइनों से 7306 क्यूसिक पानी डिस्चार्ज हो रहा है यानी जून से अब तक बांध में मात्र 27 फुट पानी ही बढ़ा है, जो ¨चता का सबब है। जबकि विगत वर्ष बांध में 3 अगस्त को 1353.62 फीट जलस्तर था और 104325 क्यूसिक पानी की आमद हो रही थी और बांध से 9001 क्यूसिक पानी डिस्चार्ज हो रहा था। लिहाजा विगत वर्ष के मुकाबले अभी बांध में 42 फीट पानी कम है।
गौर हो कि पौंग बांध की डेड स्टोरेज क्षमता 1265 फीट है। इस लेवल से मात्र 46 फीट ही ऊपर है पानी का स्तर। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बांध में पानी की क्या स्थिति है। यदि बारिश का सिलसिला ऐसे ही रहा तो बांध में पानी का वांछित स्तर 1390-1395 फीट तक जलभराव होना दूर की कौड़ी ही होगा।
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मछली के शिकार पर पाबंदी 15 तक
पौंग बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में 1 जून से 31जुलाई तक मछली के शिकार पर प्रतिबंध रहता है, क्योंकि इन दिनों मछलियां प्रजनन द्वारा अपनी वंशवृद्धि करती हैं। इस बार भी यह प्रतिबंध 31जुलाई तक ही था। मगर, बांध की झील में कम जलस्तर के चलते मछलियों की बढ़ोतरी के मद्देनजर यह प्रतिबंद्ध 15अगस्त तक बढ़ा दिया गया है।