संसद में कानून पास होने तक नहीं उठेगा किसानों का धरना : सहोता
गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने का एलान कर दिया है। लेकिन बावजूद इसके शुक्रवार को कस्बे के नजदीक मानगढ़ टोल प्लाजा पर किसान धरने पर डटे रहे।
संवाद सहयोगी, गढ़दीवाला : गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने का एलान कर दिया है। लेकिन बावजूद इसके शुक्रवार को कस्बे के नजदीक मानगढ़ टोल प्लाजा पर किसान धरने पर डटे रहे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि इस महीने के अंत में तीनों कृषि सुधार बिलों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और आंदोलन पर बैठे किसानों को गुरुपर्व पर घर वापिस जाने की अपील भी की, लेकिन मानगढ़ टोल प्लाजा पर गन्ना संघर्ष कमेटी के प्रधान सुखपाल सिंह सहोता की अगुआई में हलके के किसान कानूनों को वापस लेने के एलान के बाद 407वें दिन भी धरने पर बैठे रहे। इस संबंध में गन्ना संघर्ष कमेटी के प्रधान सुखपाल सिंह सहोता ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार संसद में प्रस्ताव पारित कर कृषि सुधार कानूनों को रद करके उसका नोटिफिकेशन जारी नहीं करती। तब तक मानगढ़ टोल प्लाजा से धरने को नहीं हटाया जाएगा। हालाकि गढ़दीवाला के नजदीक माल गल टोल प्लाजा पर कृषि सुधार कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने के ऐलान के बाद किसान लड्डू बांटते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि दिल्ली के बार्डरो और टोल प्लाजा पर लगभग पूरा साल धरने पर बैठे किसानों के बुलंद हौसले को भांपते हुए आज केंद्र सरकार को आखिरकार झुकना ही पड़ा। कोई भी सरकार किसानों के हितों को कुचलकर इस देश को नहीं चला सकती। हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों में हुए उपचुनावों में भाजपा का जो हाल हुआ है, वह किसानों की बदौलत ही हुआ है। किसानों के बढ़ते हौसले को देखते हुए 2022 में पांच राज्यों के होने जा रहे चुनावों में भाजपा ने अपनी हार और किसानों के बढ़ते हौसले को देखते हुए इन कृषि सुधार कानूनों को वापिस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि 20 या 21 तारीख को अगली रणनीति संबंधी हलके के किसानों की बैठक की जाएगी। जिसमें 26 नवंबर के मोर्चे व 29 नवंबर को संसद भवन दिल्ली तक किसानों के ट्रैक्टर मार्च को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा। इस अवसर पर गन्ना संघर्ष कमेटी के जनरल सचिव अमरजीत सिंह माहल, गुरप्रीत सिंह हीराहार, जसवीर रामदासपुर, दविदर सिंह चौहका, हरविदर थेंदा, सुखदेव मांगा, मनजीत सिंह मल्लेवाल, पाला, हैप्पी, हरजीत मिर्जापुर, राजिद्र पाल, सतपाल सिंह हीराहार, मास्टर रछपाल सिंह, हरपाल सिंह, जसविदर सिंह, करनैल सिंह भाना, जसवीर सिंह राजा, मोहन सिंह मल्ली, अर्शदीप सिंह, मघर सिंह, हरपाल सिंह एवं जितेंद्र सिंह सांगला आदि भी हाजिर थे।