बुजुर्गो की नसीहत, घर में रहने से टलेगी मुसीबत
लॉकडाउन चार में मिली छूट कहीं अभिशाप न बन जाए इस के लिए जरूरी है कि सभी लोग शारीरिक दूरी मास्क पहनना और बार बार हाथ धोने जैसे नियमों का पालन करते हुए अपने आप को सुरक्षित रखें।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : लॉकडाउन चार में मिली छूट कहीं अभिशाप न बन जाए इस के लिए जरूरी है कि सभी लोग शारीरिक दूरी, मास्क पहनना और बार बार हाथ धोने जैसे नियमों का पालन करते हुए अपने आप को सुरक्षित रखें। उक्त चर्चा दैनिक जागरण के साथ करते हुए 96 वर्षीय नंबरदार ढेरू राम तथा 91 वर्षीय बुजुर्ग कलिया राम ने बताया कि उन्होंने जब वह छोटे थे, तो अपने बुजुर्गो से सुना था कि जब यह वैश्विक महामारी स्पेनिश फ्लू 1918 में शुरू हुई थी तो फिर यह दो साल तक चली थी और पचास करोड़ लोगों को इसने संक्रमित किया था। पूरे विश्व में पांच करोड़ लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने जब वे बच्चे ही थे, तो बुजुर्ग लोगों ने बताया कि इस महामारी की तीन वेव आई थी। लोगों ने सरकार के निर्देश का पालन करते हुए शारीरिक दूरी का पालन करते हुए जंगल और खेतों में डेरा डाल दिया था तब भी लाखों लोग मारे गए थे। फिर बीमारी थोड़ी कम हुई और लोग असावधान हो गए।
लोगों ने शारीरिक दूरी और मुंह ढकना छोड़ दिया। उसके बाद फिर दो वेव और आई और लोगों ने एकांतवास छोड़ रखा था। नतीजतन पचास करोड़ लोग संक्रमित हो गए और उनमें से पांच करोड़ लोग पूरी दुनिया में मारे गए। कंडी क्षेत्र में भी उस समय यह आलम था कि सुबह हर गांव में पांच छह लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता था और दूसरे दिन फिर उतनी ही मौतें हो जाती थी।
बुजुर्गो से सुना था कि उस समय दुनिया इतनी साधन संपन्न नहीं थी, नतीजतन सेहत सुविधाएं न होने के कारण कंडी क्षेत्र के गांवों में भी सैकड़ों लोगों को अपने प्राण गंवाने पड़े थे। हमें उस समय की महामारी से सबक लेना चाहिए। इसलिए लोगों को चाहिए कि शारीरिक दूरी और मास्क पहनना गमछा पहनना और बार बार हाथ साबुन से धोना जैसे नियमों का पालन करते हुए इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का मुकाबला करें क्योंकि परहेज ही इस का इलाज है और कोई भी वैक्सीन इसका उपलब्ध नहीं है। उक्त दोनों बुजुर्गों ने कहा सरकारी नियमों और निर्देशों का पालन करने से ही कोरोना वायरस नाम वाली मुसीबत से छुटकारा मिल सकता है। इसलिए सभी लोग शारीरिक दूरी बनाए रखें और मास्क इस्तेमाल कर जीवन को सुरक्षित रखें।