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संतों से मिलकर नीरस जीवन सरल बन जाता है : साध्वी रुकमणि

श्री मणिमहेश लंगर सेवा दल की ओर से लगाए मणिमहेश यात्रियों के लिए 10वें वार्षिक लंगर में सत्संग करवाया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 04:16 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 04:16 PM (IST)
संतों से मिलकर नीरस जीवन सरल बन जाता है : साध्वी रुकमणि
संतों से मिलकर नीरस जीवन सरल बन जाता है : साध्वी रुकमणि

संवाद सहयोगी, मुकेरियां: श्री मणिमहेश लंगर सेवा दल की ओर से लगाए मणिमहेश यात्रियों के लिए 10वें वार्षिक लंगर में सत्संग करवाया गया। प्रवचन करते हुए दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की शिष्य साध्वी रुकमणि जी ने कहा शिव संध्या मानव जाति को सुख-समृद्धि व आंनद देने वाली है। क्योंकि भगवान शिव कल्याण एवं सुख के मूल स्त्रोत हैं। भगवान भोले नाथ की संध्या में गोता लगाने से मानव को प्रभु की प्राप्ति होती है, लेकिन भगवान शिव की महिमा सुनने व उनमें उतरने में अंतर होता है। सुनना तो सहज है, लेकिन इसमें उतरने की कला हमें केवल एक संत ही सिखा सकता हैं। संध्या के पहले दिन में महात्म का वर्णन करते हुए साध्वी जी कहा कि चंचुला नाम की एक महिला थी। जिसे जब संत का संग मिला तो वह शिव धाम की अनुगामिनी बनीं। हमारे समस्त वेद-शास्त्र सत्संग की महिमा का व्याख्यान अनेकों प्रकार से करते हैं। एक घड़ी के सत्संग की तुलना स्वर्ग की समस्त संपदा से की गई हैं। संत के चरणों का प्रताप ही ऐसा है कि अहल्या, शबरी जैसे भक्त इसे प्राप्त कर सहज ही भवसागर से पार हो गए। संत के संग से ही मरुस्थल जीवन में बहार आ जाती है। नीरस जीवन सरस बन जाता है। विकारों से परिपूर्ण हृदय ईश्वरीय भक्ति से भर जाता है। परंतु वास्तव में सत्संग कहते किसे हैं, सत्य और संग दो शब्दों के जोड़ से मिलकर बना यह शब्द हमें सत्य यानि परमात्मा और संग अर्थात मिलन की ओर इंगित करता है। परमात्मा से मिलन के लिए संत एक मध्यस्थ हैं। इसलिए हमें जीवन में पूर्ण संत की खोज में अग्रसर होना चाहिए, जो हमारा मिलाप परमात्मा से करवा दे।

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इस अवसर पर स्वामी सजानंदन, साध्वी त्रिवेणी, ठाकुर स्वर्ण सिंह, राजिदर प्रसाद शर्मा, नंबरदार रणवीर सिंह, जगन्नाथ सिंह, शांति स्वरूप, कुलविदर सिंह, कुलदीप सिंह, अश्विनी शर्मा, कर्ण सिंह डुगरी, रमेश सिंह, उमेश कुमार, पम्मी, संजीव शर्मा, डॉ. अशोक कुमार, ओंकार सिंह, जोगिदर राणा, अष्टम ठाकुर, गोपाल ठाकुर, सरवन शर्मा, रमन कुमार, अश्विनी कुमार, प्रदीप खतरा, पंडित रवि शर्मा, शिगार सिंह, बिशंबर ठाकुर, जयचंद शर्मा आदि मौजूद थे।


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