अध्यात्म हमारे सबसे निकट मूल्यों का आधार : साध्वी रुकमणी भारती
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गौतम नगर में धार्मिक कार्यक्रम करवाया गया। जिसमें संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी रुकमणि भारती जी ने अध्यात्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आधुनिक प्रवृति के लोगों के लिए अध्यात्म एक कठिन विषय है। क्योंकि उनकी शिक्षा भौति
जेएनएन, होशियारपुर
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा गौतम नगर में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी रुकमणी भारती ने अध्यात्म पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रवृति के लोगों के लिए अध्यात्म एक कठिन विषय है, क्योंकि उनकी शिक्षा भौतिक विज्ञान के आधार पर हुई है। वह कोरे तर्क, विश्लेषण तथा कार्य-करण पर भरोसा करते हैं। इसलिए कभी-कभी अध्यात्म से वंचित रह जाते हैं। वास्तव में अध्यात्म है क्या? अध्यात्म से तात्पर्य स्वआत्मा का अनुभव करना, जोकि ईश्वरीय स्वरूप ही है। अध्यात्म हमारे सबसे निकट मूल्यों का आधार है। हमारी आस्था और श्रद्धा का अधिष्ठान है। यह जीवन को प्रयोजन और अर्थ देता है। जैसे-जैसे यह हमारे अंदर विकसित होता है। हमें प्रज्ञा एवं प्रेम से भर देता है। हम दिव्यत्मा के प्रति गहरे आदर से भर जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जब हमारा अध्यात्म ज्ञान विकसित एवं स्फूर्त हो जाता है, तो हम सभी प्राणियों तथा स्वयं परमात्मा से संयुक्त हो जाते हैं। हमारा हृदय सभी के प्रति दयाभाव से भर जाता है। अध्यात्म भौतिक जगत के प्रमाणों से परे है। ईश्वर का कोई स्थूल प्रमाण नहीं दे सकता है। मगर, ईश्वर को प्रत्यक्ष अनुभव किया जा सकता है। इसलिए सच्चा धर्म, सच्चा संप्रदाय वही है, जो हमारे भीतर शुद्ध आध्यात्मिकता को विकसित करे। हमें हमारे वास्तविक लक्ष्य ईश्वर का साक्षात्कार कराए। हमारे धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अध्यात्म एक इंसान के जीवन में ब्रह्मानिष्ठ सतगुरु की कृपा से ही उतर पाता है। पूर्ण सतगुरु ही ईश्वर का दर्शन करवाने की सामर्थ्य रखता है।