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पांडवों की शरणस्थली रहा है श्री पंडायन

शिवालिक क्षेत्र में पर्वतमाला अध्यात्म और तप का केंद्र है। श्री पंडायन हिमाचल बार्डर के साथ लगता काफी बड़ा गांव है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 04:27 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 05:16 AM (IST)
पांडवों की शरणस्थली रहा है श्री पंडायन
पांडवों की शरणस्थली रहा है श्री पंडायन

सरोज बाला, दातारपुर

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शिवालिक क्षेत्र में पर्वतमाला अध्यात्म और तप का केंद्र है। श्री पंडायन हिमाचल बार्डर के साथ लगता काफी बड़ा गांव है। यहां पर स्थापित भगवान शिव के मंदिर में हर साल हजारों श्रद्धालु नतमस्तक होने आते हैं। इस मंदिर का भी संबंध पांडवों के अज्ञातवास से है और पांडवों के यहां आने से ही इस जगह का नाम श्री पंडायन पड़ा। यहां शिवालय और सीढ़ीदार कुआं है। दसूहा से 31, मुकेरियां से 24 और दातारपुर से पांच व तलवाड़ा से तीन किमी की दूरी पर मंदिर स्थित है।

मंदिर का इतिहास

इलाका वासियों ने मंदिर के इतिहास के बारे में बताया कि यह प्रसिद्ध देव स्थान पांडवों के अज्ञातवास में बसा है। इस कारण इसका नाम श्री पंडायन पड़ा। मंदिर की स्थापना भी पांडवों ने की और शिवालय के साथ यहां उन्होंने सीढ़ीदार कुआं भी खुदवाया था। पांडवों ने जब पार्थिव शिवलिग की स्थापना की तो एक ही रात में घुमावदार सीढि़यों वाला कुआं खोदा। इस कुएं की शैली भी समकालीन है। लुप्त हो रहे कुएं को भव्य रूप देकर सुंदर छत इस पर बनाई गई है। सरपंच बलबिदर सिंह बताते हैं कि जब सूखे जैसे हालात बनते थे, तो लोग इसी कुएं के पानी से शिवलिग का जलाभिषेक किया करते थे और फिर बारिश हो जाती थी। मंदिर में स्थापित शिवलिग छोटा है पर मान्यता इसकी बहुत ज्यादा है।

तैयारियां

मंदिर में सावन व महाशिवरात्रि पर भव्य कार्यक्रम होता है। सावन का सारा महीना शिव आराधना की जाती है और श्रद्धालु फल, फूल, जल, आक धतुरा, बेलपत्र से पूजन करते हैं और विशाल लंगर भी लगाया जाता है।


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