दीपमालाएं हमारे अंदर के अहंकार को खत्म करने का देती हैं संदेश
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय आश्रम गौतम नगर होशियारपुर में दीपावली पर्व का आयोजन किया गया।
जेएनएन, होशियारपुर : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय आश्रम गौतम नगर होशियारपुर में दीपावली पर्व का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी रुक्मणी भारती ने बताया कि संपूर्ण भारत प्रत्येक वर्ष दीपावली को बेहद हर्षोल्लास से मनाता है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक यानी धनतेरस से भाई दूज तक का यह मंगलमय सफर स्वयं में पांच पर्वो को समाए हुए है। साध्वी ने बताया कि कार्तिक कृष्ण चर्तुदशी पर भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था। इसलिए इस दिन को नरक चर्तुदशी भी कहते हैं। आज हम सब भी नरकासुर की भांति मोह, लोभ, काम-वासनाओं के अधीन तृष्णावंत जीवन जी रहे हैं। पर जब हमारे जीवन में श्री कृष्ण जैसे पूर्ण सतगुरु आते हैं तो वे हमारी आसुरी मन का अंत करते हैं। आगे साध्वी ने बताया कि अमावस्या की रात को दीवाली पर्व मनाया जाता है। दीपावली की बात करें तो इस पर्व पर जगमगाती दीपमालाएं एक ही संदेश देती हैं कि अपने आंतरिक तमस को दूर करो। हमारे ज्ञानी-पूर्वजों के अनुसार केवल लक्ष्मी जीवन में मंगल नहीं ला सकती। इसलिए उनके साथ श्री गणेश और श्री सरस्वती जी की पूजा का भी प्रावधान रखा गया। श्री गणेश विवेक के देव हैं। उनकी पूजा कर हम प्रार्थना करते हैं वे हमारी बुद्धि को प्रकाशित कर धन को सद्कार्यो में लगाने के लिए प्रेरित करें। वहीं हंसवाहिनी और ज्ञानदायिनी मां सरस्वती के पूजन द्वारा हम अपने मन को शुभ व पुनीत करने का संकल्प लेते हैं।