श्रीराम वनवास के कारण व उद्देश्यों का किया व्याख्यान
कंडी इलाका में धार्मिक समारोह में श्रीराम को वनवास की घटना का सजीव चित्रंण किया गया।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : कंडी इलाका में धार्मिक समारोह में श्रीराम को वनवास की घटना का सजीव चित्रंण किया गया। स्वामी महेश पुरी जी ने शिव मंदिर फतेहपुर में धर्म चर्चा में कहा रामायण की सबसे बड़ी घटना है, श्री राम का देवी सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास गमन। रामायण की कथा के अनुसार कैकेयी की जिद्द की वजह से भगवान राम को वन जाना पड़ा था लेकिन यह मात्र एक दृश्य घटना है। महेश पूरी जी ने कहा श्रीराम के वन गमन के पीछे कई दूसरे कारण भी थे, जिन्हें वही व्यक्ति समझ सकता है। जिन्होंने रामायण को पढ़ा और समझा हो। स्वामी ने कहा भगवान राम का जन्म रावण वध करने के उद्देश्य से हुआ था। अगर राम राजा बन जाते तो देवी सीता का हरण और इसके बाद रावण वध का उद्देश्य अधूरा रह जाता। महेश स्वामी जी ने कहा इसके अलावा जो कारण है उसका संबंध एक शाप से है। नारद मुनि के मन में एक सुंदर कन्या को देखकर विवाह की इच्छा जगी। नारद मुनि नारायण के पास पहुंचे और हरि जैसी छवि मांगी। हरि का मतलब विष्णु भी होता है वानर भी। भगवान ने नारद को वानर मुख दे दिया। इस कारण से नारद मुनि का विवाह नहीं हो पाया। क्रोधित होकर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को शाप दे दिया, कि आपको देवी लक्ष्मी का वियोग सहना पड़ेगा और वानर की सहायता से ही आपका पुन: मिलन होगा। इस शाप के कारण राम सीता का वियोग होना था इसलिए भी राम को वनवास जाना पड़ा।
महेश पूरी ने बताया कि भगवान राम की इच्छा के बिना कुछ भी नहीं होता। भगवान राम स्वयं ही अपनी लीला को पूरा करने के लिए वन जाना चाहते थे। क्योंकि वन में उन्हें हनुमान से मिलना था। सबरी का उद्धार करना था। धरती पर धर्म और मर्यादा की सीख देनी थी इसलिए जन्म से पहले ही राम यह तय कर चुके थे कि उन्हें वन जाना है और पृथ्वी से पाप का भार कम करना है। इस अवसर पर रविन्द्र मुन्ना, अशोक ठाकुर, नंबरदार अनंत राम, सुरिदर शर्मा, सचिन, करतार चंद उपस्थित थे।