क्षमा के गुण से विष्णु भगवान सर्वश्रेष्ठ : महेश पुरी
महर्षि भृगु ब्रह्माजी के पुत्र थे। उनकी पत्नी का नाम ख्याति था जो दक्ष की पुत्री थी।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : महर्षि भृगु ब्रह्माजी के पुत्र थे। उनकी पत्नी का नाम ख्याति था, जो दक्ष की पुत्री थी। महर्षि भृगु सप्त ऋषि मंडल के एक ऋषि हैं। वीरवार को शिव मंदिर फतेहपुर में प्रवचन करते हुए तपोमूर्ति स्वामी महेश पुरी ने कहा कि यज्ञ में ऋषि-मुनियों में इस बात पर विवाद छिड़ गया कि ब्रह्मा, शिवजी और विष्णु में सबसे बड़े और श्रेष्ठ कौन हैं। इसका कोई निष्कर्ष न निकलता देख उन्होंने त्रिदेवों की परीक्षा लेने का निश्चय किया। महर्षि भृगु सर्वप्रथम ब्रह्माजी के पास गए। उन्होंने न तो प्रणाम किया और न ही उनकी स्तुति की। यह देख ब्रह्माजी क्रोधित हो गए। वहां से महर्षि भृगु कैलाश गए।
भगवान महादेव ने देखा कि भृगु आ रहे हैं, तो वे प्रसन्न होकर अपने आसन से उठे और उनका आलिगन करने के लिए अपनी भुजाएं फैला दीं। परंतु उनकी परीक्षा लेने के लिए भृगु मुनि उनका आलिगन अस्वीकार किया। उनकी बात सुनकर भगवान शिव क्रोध से तिलमिला उठे। इसके बाद भृगु मुनि भगवान विष्णु के पास गए। भृगु ने जाते ही उनके वक्ष पर लात मारी। भक्त वत्सल भगवान विष्णु शीघ्र ही अपने आसन से उठ खड़े हुए और उन्हें प्रणाम करके उनके चरण सहलाते हुए बोले, आपके पैर पर चोट तो नहीं लगी? कृपया इस आसन पर विश्राम कीजिए। उन्होंने कहा कि आपके चरणों का स्पर्श तीर्थो को पवित्र करने वाला है। आपके चरणों के स्पर्श से आज मैं धन्य हो गया। भगवान विष्णु का यह प्रेम व्यवहार देखकर महर्षि भृगु की आंखों से आंसू बहने लगे। उसके बाद वे ऋषि-मुनियों के पास लौट आए और ब्रह्मा, शिवजी और विष्णु के यहां का सभी अनुभव विस्तार से बताया। उनके अनुभव सुनकर सभी ऋषि-मुनि बड़े हैरान हुए और उनके सभी संदेह दूर हो गए।
इस मौके पर राजिदर कुमार, मुन्ना ठाकुर, सुरिदर कुमार, वरिदर शास्त्री, अशोक ठाकुर, नंबरदार अनंत राम, राम दास, लक्की, विकास, सुभाष, दलजीत सिंह उपस्थित थे।