सावन में महामृत्युंजय मंत्र का करें जाप : बोबी कौशल
आशुतोष भगवान शिवजी को सावन का महीना और सोमवार का दिन इतना अधिक क्यों प्रिय है।
जासं, दातारपुर : श्रीगणेश मंदिर दातारपुर में गणेशोत्सव कमेटी के प्रधान बोबी कौशल ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि शिवलिग का आविर्भाव सोमवार के दिन हुआ था। इसलिए सोमवार के दिन उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अतिरिक्त सोम, चंद्रमा को कहते हैं, चंद्रमा के ईष्टदेव महादेव हैं और इनके सिर पर भी चंद्रमा विराजमान है। इसलिए भी सोमवार का दिन भगवान शिव को प्रिय है। चंद्रमा मां और मन का कारक है। मन ही हमारा प्रमुख नियंत्रक होता है। यदि मन में उत्तम विचार बने रहें, तो अन्य सुखद संयोग अपने आप बन जाते हैं। मन में शिव संकल्पों के उदय के लिए सोमवार के दिन भगवान शिव का पूजन किया जाता है। बोबी कौशल ने कहा कि सावन के सोमवार को शिव जी की पूजा करने से चंद्र ग्रह के दोषों से आसानी से मुक्ति मिल सकती है। भगवान भोलेनाथ की पूजा में गंगा जल, उनके प्रिय धतूरे के फूल, बेलपत्र चढ़ाकर 108 बार शिवमंत्र का जाप आस्था-विश्वास के साथ करना चाहिए। यदि जातक शारीरिक कष्टों से निवारण चाहता है, तो सावन मास में महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
भक्त बोबी कौशल ने कहा कि रुद्राक्ष की माला लेकर भगवान शिव के मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करने से विविध विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसी कारण भारत में श्रावण के सोमवार के दिन महादेव का पूजन उनके वंदन, अभिषेक व आराधना से किया जाता है। अवश्य फल देता है श्रावण में किया गया पूजन
श्रावण में किया गया पूजन अवश्य फल देता है। भगवान शिवजी को आशुतोष भी कहा जाता है। भगवान शिव थोड़ी सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिवजी के पूजन में कुछ भी न हो तो भी मात्र जल से ही उनका अभिषेक किया जा सकता है। कौशल ने कहा शास्त्रों में भगवान शिव के 108 नामों का उल्लेख मिलता है। दरअसल भगवान शिव कई गुण, शक्तियों और विशेषताओं से संपूर्ण हैं। ऐसे में शिवजी की इन सभी विशेषताओं और उनकी शक्तियों के अनुसार उनके 108 नाम हैं। माना जाता है कि भगवान शिव तंत्र और योग से लेकर कामुकता के ज्ञाता है। भगवान शिव के हर नाम का है महत्व
शिव-शंकर के हर नाम के पीछे विशेष अभिप्राय और महत्व है। जैसे कि शिव का अर्थ होता है। कल्याण स्वरुप, महेश्वर यानी माया के अधीश्वर, शम्भू का मतलब आनंद स्वरुप वाले, शशिशेखर यानी सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले, वामदेव मतलब अत्यंत सुंदर स्वरुप वाले, कपर्दी का अर्थ है जटाजूट धारण करने वाले, नीललोहित का मतलब है नीले और लाल रंग वाले। वहीं शंकर से अभिप्राय है सबका कल्याण करने वाले। उन्होंने कहा शिवजी की प्रतिदिन स्तुति करने से मानवजाति को सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।