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ऑटो नहीं जिंदगी की गाड़ी चलाती हैं पंजाब की लिपिका, जरूर पढ़ें संघर्ष की यह कहानी

यह कहानी पंजाब की उस महिला के संघर्ष की है जिसने समाज की लीक को ताेड़ा। होशियारपुर की लिपिका ऑटो के जरिये हकीकत में जिंदगी की गाड़ी चला रही हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 12:38 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 08:59 PM (IST)
ऑटो नहीं जिंदगी की गाड़ी चलाती हैं पंजाब की लिपिका, जरूर पढ़ें संघर्ष की यह कहानी
ऑटो नहीं जिंदगी की गाड़ी चलाती हैं पंजाब की लिपिका, जरूर पढ़ें संघर्ष की यह कहानी

होशियारपुर, [हजारी लाल]। पंजाब की महिलाओं ने जीवन के हर क्षेत्र में अपने मेहनत और संघर्ष से मुकाम बनाया है। परिस्थितियों कुछ भी हों, उनका हिम्‍मत से मुकाबला किया और नई राह बनाई। ऐसी ही एक महिला हैं होशियारपुर के मोहल्ला बस्सी ख्वाजू की रहने वाली लिपिका वर्मा। जीवन में अचानक ऐसा पल आया कि परिवार दोराहा पड़ खड़ा हो गया और गुजर-बसर मुश्किल हो गया। इसके बाद लिपिका ऑटो की स्‍टेरिंग थाम जिंदगी की गाड़ी चलाने लगीं।

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प‍ति को हार्ट अटैक के बाद काम करने की हालत मेें नहीं थे तो लिपिका ने थामी ऑटो की स्टेयरिंग

लिपिका आज ऑटो चालक के रूप में पहचान रखती हैं। पति रवि वर्मा को दिल की बीमारी ने घेर लिया तो मुसीबत की घड़ी में लिपिका हाउस वाइफ से ऑटो चालक बन गईं। उन्होंने पति की सारी जिम्मेदारियों पर अपने कंधों पर उठा लीं। सारा दिन ऑटो रिक्शा चलाकर अपने घर का गुजारा कर रही हैं।

41 वर्षीय लिपिका बताती हैं कि पति रवि पहले चाय की दुकान करते थे। घर का गुजारा अच्छे ढंग से चले इसीलिए वह एक कपड़े की दुकान पर काम करती थीं। मियां-बीवी मिलकर घर की जरूरतें पूरी कर लेते थे। तीन साल पहले की बात है कि चाय की दुकान उसके मालिक ने खाली करवा ली थी। फिर पति ने एक लाख रुपये का जुगाड़ करके ऑटो रिक्शा खरीदा और चलाना शुरू कर दिया।

लिपिका बताती हैं, इसमें चाय की दुकान से ज्यादा आमदनी होने लगी। अब घर में कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन अचानक मुसीबत ने आ घेरा जब पति को हार्टअटैक आ गया। डॉक्टरों ने सलाह दी कि अब रवि को बेड रेस्ट ही करना होगा। एक बेटी और परिवार का गुजारा कैसे होगा। पति की दवा कहां से आएगी। लिपिका के लिए यह परीक्षा की घड़ी थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

लिपिका कहती हैं, बेटी प्रिंसिका वर्मा सातवीं कक्षा में पढ़ती है। उसे पढ़ा-लिखा कर पैरों पर खड़ा होने के लायक बनाऊंगी। कहती हैं, महिलाएं किसी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं, बस उन्हें अपने अंदर के साहस को बाहर निकालने की जरूरत है...।


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