कायम रही परंपरा, जमकर उड़ीं नियमों की धज्जियां
जागरण संवाददाता होशियारपुर। इस बार भी दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया गया। चाहे कोरोना को लेकर सरकार ने गाइडलाइन जारी की थी परंतु यह गाइडलाइन केवल पंडाल तक ही सीमित रही।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर।
इस बार भी दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया गया। चाहे कोरोना को लेकर सरकार ने गाइडलाइन जारी की थी परंतु यह गाइडलाइन केवल पंडाल तक ही सीमित रही। वह भी कुछ समय तक। जैसे-जैसे रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतलों को फूंकने का समय नजदीक आता गया वैसे-वैसे पंडाल में सारी गाइडलाइन धरी की धरी रह गईं। सबने जमकर गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाईं। न किसी ने फिजिकल डिस्टेंस का पालन किया और न ही किसी ने मास्क पहना था। जो मास्क पहनने वाले थे वह श्री राम लीला कमेटी के सदस्य ही थे। जैसे-जैसे मेला भरता गया वैसे-वैसे सारे दावे हवा होते नजर आए। मानो जैसे कोरोना है ही नहीं, लोग बड़े बेफिक्र नजर आए। हालांकि इस दौरान श्री राम लीला कमेटी के सदस्य लाउड स्पीकर पर अनाउंसमेंट करते रहे और लोगों को चेताते रहे कि वह कोरोना को ध्यान में रखते हुए गाइडलाइन का पालन करें। सारे नियम, कानून व किए गए प्रबंध हवा हो गए। शाम ठीक साढ़े पांच बजे रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतलों को आग लगाई गई।
इस बार यह रस्म पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री विजय सांपला, इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन राकेश मरवाहा व आप नेता संदीप सैनी ने अदा की। इस मौके पर श्री राम लीला कमेटी के अध्यक्ष शिव सूद, भाजपा नेता कमल चौधरी, भारत भूषण वर्मा सहित भारी संख्या में शहर के गणमान्य मौजूद रहे। --------------------
पंडाल में भी उड़ी धज्जियां
कुल्लू के बाद होशियारपुर का दशहरा उत्तर भारत में सबसे मशहूर है। होशियारपुर में यह त्योहार दस से 12 दिन तक चलता है परंतु कोरोना के कारण इस बार पंडाल लगाने से पहले कमेटी के सदस्य बकायदा डीसी होशियारपुर के साथ मिले थे और कोरोना संबंधी गाइडलाइन जारी करने की मांग की थी। प्रशासन ने गाइडलाइन भी जारी की थी। इस गाइडलाइन के तहत पंडाल में अधिक रश न होने देना, केवल उन्हीं को दाखिल होने देना जिन्होंने मास्क पहना हो। सबसे जरूरी बात पंडाल में फिजिकल डिस्टेंस का पालन करना परंतु हुआ इसका बिल्कुल उलट। शाम तक पंडाल खचाखच भर गया था और सारी गाइडलाइन बुरी तरह से फेल साबित हो गई। यहां तक कि किसी के चेहरे पर मास्क तक दिखाई नहीं दिया। यहां तक कि मंच पर मौजूद गणमान्यों ने भी खड़े होते समय आपस में दो गज की दूरी कायम नहीं की। जैसे-जैसे रावण दहन का समय नजदीक आता गया, लोग पंडाल में दाखिल होते रहे।