पौंग बांध में 14 फुट पानी कम, बिजली उत्पादन 15 फीसद कम होने का अनुमान
ब्यास नदी पर बनाए गए मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे बड़े बांध पौंग बांध में विगत 20जून से जलभराव सीजन शुरु हो कर आज तीन महीने तक चलने के बाद
हाईलाइटर
पिछले साल से पांच फुट कम हुआ पानी एकत्रित
= इस साल पानी 1376.81 फीट है।
= 1390 फीट होनी चाहिए
इस हिसाब से 14 फुट पानी कम है
असर-
सिंचाई हिमाचल, पंजाब व राजस्थान
= बिजली उत्पादन 15 फीसद कम हो सकता है।
सरोज बाला, दातारपुर :
ब्यास नदी पर बनाए गए मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे बड़े पौंग बांध में 20जून से जलभराव सीजन शुरू हो कर आज तीन महीने तक चलने के बाद संपंन हो गया। परंतु मौसम विभाग की भविष्यवाणी की इस साल मानसून की बारिश जोरदार होगी। यह आधी अधूरी ही सच हुई है। क्योंकि तीन महीने के जलभराव सीजन के बाद आज पौंग बांध में कुल 92 फीट जलस्तर ही बढ़ा है। लिहाजा इस साल पौंग बांध के फ्लड गेटों को, खोलने अथवा टेस्ट करने की भी जरूरत नहीं पड़ी। क्योंकि पानी का लेबल गेटों के लेबल 1365 फीट से मात्र 11फीट ही ऊपर है।
20 जून को 1284.49 फीट रहा जलस्तर
20 जून को बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में सुबह 6 बजे 1284.49 फीट जलस्तर रिकार्ड किया गया। इसी समय झील में मात्र 2190 क्यूसिक पानी की आमद हो रही थी। 8009 क्यूसिक पानी बांध से डिस्चार्ज हो रहा था, जबकि आज बांध की झील में सुबह 6 बजे 1376.81 फीट जलस्तर रिकार्ड किया गया है। इसी समय बांध में कुल 7781 क्यूसिक पानी की आमद हो रही है और बांध की टबाइनों से 12208 क्यूसिक पानी डिस्चार्ज हो रहा है। इस प्रकार आज समाप्त हुए जलभराव के सीजन के बाद 92 फीट पानी ही झील में भरा है। जबकि विगत वर्ष आज के दिन बांध में 97 फीट पानी था और 3881 क्यूसिक पानी की आमद थी और 12880 क्यूसिक पानी डिस्चार्ज हो रहा था।
कमजोर मानसून से पड़ा असर
कम जलभराव का कारण कमजोर मानसून रहा है। जबकि 2016 में 1386 फीट ही पानी बांध में भरा था। बांध में चाहे भरपूर जलभराव नहीं हुआ है, फिर भी इस स्तर को कम से कम संतोषजनक तो माना ही जाएगा। लिहाजा बांध में समुचित जलभराव नही होने के चलते अगले वर्ष जून तक ¨सचाई और विद्युत उत्पादन के लिए पानी की उपलब्धता थोड़ी कम ही रहेगी। ज्ञात रहे की पौंग बांध की डेड स्टोरेज क्षमता 1265फीट है। दैनिक जागरण ने जुलाई में ही लिखा था की यदि बांध के कैचमेंट क्षेत्र में इसी प्रकार कम बारिश का सिलसिला जारी रहा तो बांध में पानी का वांछित स्तर 1390-1395 फीट तक जलभराव होना संभव नहीं होगा।
बिजली उत्पादन पर पड़ेगा असर
वर्तमान में बांध की कुल तीन ट्र्बाइन बिजली उत्पादन कर रही है। डिस्चार्ज के बाद 11500 क्यूसिक पानी मुकेरियां हाइडल नहर में जा रहा है जहां के चार बिजलीघरों में 207मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। बांध की उंचाई 1410फीट है। इसे ज्यादा से ज्यादा 1395 फीट तक ही भरा जाता है। पौंग बांध के बिजलीघर में कुल 6 ट्र्बाइन कार्यरत हैं जो प्रत्येक 66मेगावाट की दर से कुल 396 मेगावाट बिजली उत्पादन करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते है।