अब दिन बड़े और रातें छोटी होने लगेंगी : महंत राज गिरी
सूर्यदेव अंधकार को दूर करने वाले और तेज के पुंज हैं। जब सूर्य अपनी गति के अनुसार 30 दिन में 30 अंश पूरे कर लेते है उस दिन नया महीना शुरू हो जाता है। इसी दिन को संक्रांति कहते हैं।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : सूर्यदेव अंधकार को दूर करने वाले और तेज के पुंज हैं। जब सूर्य अपनी गति के अनुसार 30 दिन में 30 अंश पूरे कर लेते है, उस दिन नया महीना शुरू हो जाता है। इसी दिन को संक्रांति कहते हैं। कुल 12 राशियां होती हैं और 12 ही महीने साल में होते हैं। मां कामाक्षी दरबार में महंत राज गिरी ने दैनिक जागरण के साथ मकर संक्रांति पर उक्त चर्चा की। उन्होंने बताया कि जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है, तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं। मकर और कुंभ राशि के स्वामी बुध देव हैं। सूर्य के पुत्र शनिदेव हैं। ग्रहों के राजा सूर्यदेव का इस दिन अपने पुत्र शनि देव से मिलन होता है। क्योंकि, मकर राशि के स्वामी उनके पुत्र शनि हैं। उत्तरायण काल की पहली संक्रांति है मकर संक्रांति, यह लोहड़ी के दूसरे दिन आती है।
महंत ने कहा, यह संक्रांति आमजन को अतिकष्टकारी शीत से मुक्ति का संदेश देती है। इस दिन से ठंड घटने लगती है। दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। बसंत के आगमन का शुभ संदेश मन को हर्ष प्रदान करता है। सूर्य के देवताओं के भाग में प्रवेश से ही दिन का तापमान बढ़ने लगता है। इस दिन सरोवरों तालाबों, पावन नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। गंगासागर तीर्थ में स्नान का बहुत ही माहात्म्य है। यदि कोई इन तीर्थ स्थानों पर न जा सके तो वह घर अथवा किसी सरोवर में स्नान कर दान करें, तो उसका फल मिलता है। सामर्थ्य अनुसार गुड़, चावल, चना, रेवड़ी, ऊनी वस्त्र या सूती दान करें। माघ महीना देवताओं का ब्रह्म मुहूर्त है। अंत में महंत ने सभी के लिए मंगलमय कामना की। उन्होंने बताया कि 14 जनवरी को बाबा लाल दयाल आश्रम दातारपुर रामपुर, कमाही देवी व बाबा गंगूनाथ मंदिर में समारोह होगा।