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श्रीराम के आदर्शो को अपनाने से मिलता है सुख : महंत राज गिरी

पूरे विश्व के लोग श्रीराम को मर्यादा पुरषोत्तम कहते हैं। उन्होंने मानव मात्र के लिए मर्यादा पालन का जो आदर्श प्रस्तुत किया वह संसार के इतिहास में कहीं और नहीं मिल सकता।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 04:16 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 05:42 AM (IST)
श्रीराम  के आदर्शो को अपनाने से मिलता है सुख : महंत राज गिरी
श्रीराम के आदर्शो को अपनाने से मिलता है सुख : महंत राज गिरी

संवाद सहयोगी, दातारपुर : पूरे विश्व के लोग श्रीराम को मर्यादा पुरषोत्तम कहते हैं। उन्होंने मानव मात्र के लिए मर्यादा पालन का जो आदर्श प्रस्तुत किया वह संसार के इतिहास में कहीं और नहीं मिल सकता। मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में राम मंदिर निर्माण के लिए सहयोग लेने पहुंचे रामभक्तों को संबोधित करते हुए महंत राज गिरी ने कहा, उन्होंने पहला आदर्श आज्ञाकारी पुत्र के रूप में प्रस्तुत किया। रानी कैकेयी ने ठीक उस समय जब राम का राज्याभिषेक होने वाला था तो उन्हें वनवास और अपने पुत्र भरत के लिए राजतिलक की मांग कर दी। दशरथ नहीं चाहते थे, परंतु पिता के वचन का पालन करने के लिए राम ने एक पल में राजपाट को त्याग दिया और वनवासी बनकर वनों को चले गए।

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पूरे चौदह वर्ष वन में बिताए। ऐसा आदर्श कौन प्रस्तुत कर सकता है। संसार में जितने भी युद्ध और लड़ाइयां अब तक हुई हैं, वह राज प्राप्ति के लिए थी, परंतु भगवान राम ने जो आदर्श प्रस्तुत किया, उसकी तो कल्पना भी नहीं कर सकते। दूसरा आदर्श उनका भाई के रूप में हैं। भरत की मां कैकेयी ने उन्हें राजपाट के बदले वनवास दिलाया था, परंतु श्रीराम ने भरत से न ईष्र्या की और न द्वेष। वह निरंतर भरत के प्रति प्रेम प्रदर्शित करते रहे और उसे राजकाज संभालने की प्रेरणा देते रहे। तीसरा आदर्श पति का प्रस्तुत किया। वह चौदह वर्ष वनों में वनवासी होकर रहे और ऋषियों-मुनियों की सेवा का व्रत लिया। जो राक्षस ऋषियों के यज्ञ में विघ्न डालते थे उनका संहार किया। इस काल में उन्होंने गृहस्थ की चिता नहीं की। संपूर्ण शक्ति को राक्षसों का संहार करने के लिए लगाया। रावण ने जब उनकी पत्नी सीता जी का अपहरण करने का दुस्साहस किया, तो भगवान श्रीराम ने उसका सर्वनाश कर दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि वह एक आदर्श राजा थे।

महात्मा गांधी भी लाना चाहते थे राम राज्य

महंत ने कहा, महात्मा गांधी भी देश में राम राज्य की स्थापना करना चाहते थे। रामराज्य में कोई चोर, व्यभिचारी व कोई भ्रष्टाचारी नहीं था। किसी प्रकार का कोई कष्ट-क्लेश नहीं था इसलिए सारी प्रजा सुखी थी। यही कारण है कि भगवान राम हिदू संस्कृति और सभ्यता के एक अभिन्न अंग बन गए हैं। इस अवसर पर डा. सुभाष, राजेश कुमार, अजय शास्त्री, भूपिदर उपस्थित थे।


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