70 दिन तक लंगर लगाने वाले हाजीपुर में गोधन खा रहा प्लास्टिक के लिफाफे
हाजीपुर का प्राचीन नाम हरिपुर था। यहां के लोग दान गो सेवा और लंगर का आयोजन करते रहते थे। हाजीपुर में कोई भी आ जाए तो वह भूखा नहीं सोता था क्योंकि एक साल में 70 दिन लंगर का आयोजन अलग-अलग संस्थाओं व समितियों और जेठरों की याद में होता रहता है।
हाईलाइट्स
- गंदगी खाने के कारण पशुओं की आए दिन हो रही हैं मौत
- संस्थाओं की मांग, इलाके में गोशाला बनाई जाए
संवाद सहयोगी, हाजीपुर : हाजीपुर का प्राचीन नाम हरिपुर था। यहां के लोग दान, गो सेवा और लंगर का आयोजन करते रहते थे। हाजीपुर में कोई भी आ जाए तो वह भूखा नहीं सोता था, क्योंकि एक साल में 70 दिन लंगर का आयोजन अलग-अलग संस्थाओं व समितियों और जेठरों की याद में होता रहता है। लेकिन, पिछले सात वर्ष से हाजीपुर वासी दान, गो सेवा को भूलकर अपने अपने घरों का कूड़ा कर्कट और सब्जियों के छिलके प्लास्टिक के लिफाफे में बंद कर सड़कों, नहरों, तलाब और खाली जगहों पर फेंकते आ रहे हैं। इसके कारण नगर के आसपास गंदगी और प्लास्टिक के ढेरों का अंबार लग चुका है। इसके कारण लावारिस बैल और गाय भूख मिटाने के लिए प्लास्टिक के लिफाफे को खाना समझकर खा रहे हैं और मौत का ग्रास बन रहे हैं। इस वजह से आए दिन गोधन की मौत हो रही है। गो सेवक देशराज और जितेंद्र कुमार जानी ने कहा कि हाजीपुर के लोगों को चाहिए कि वह प्लास्टिक के लिफाफों का उपयोग न करें, उसकी जगह पर कपड़े के सिले हुए थैले में सब्जी लेकर आएं। इसी तरह सब्जियों के छिलके प्लास्टिक के बैग में भरकर बाहर न फेंके।
जब इस बारे में सरपंच किशोर कुमार के साथ बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि क्षेत्र की विधायक इंदू बाला से इस विषय में बात करके कोई न कोई हल निकालने की कोशिश की जाएगी। दूसरी ओर, रिटायर वरिष्ठ अध्यापक धर्मपाल ने कहा कि हाजीपुर के आसपास एक बड़ी गोशाला होनी चाहिए ताकि गोधन को रखा जा सके।