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कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कृषि सुधार कानून के खिलाफ जलाया पुतला

विधायक अरुण मिक्की डोगरा के निर्देशों पर वीरवार को युवा कांग्रेस सिटी प्रधान अंकित कौशल और धीरज ठाकुर पंकू की अध्यक्षता में केंद्र सरकार के खिलाफ ट्रैक्टर रैली निकाली गई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 05:30 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 05:30 AM (IST)
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कृषि सुधार कानून के खिलाफ जलाया पुतला

संवाद सहयोगी, तलवाड़ा : विधायक अरुण मिक्की डोगरा के निर्देशों पर वीरवार को युवा कांग्रेस सिटी प्रधान अंकित कौशल और धीरज ठाकुर पंकू की अध्यक्षता में केंद्र सरकार के खिलाफ ट्रैक्टर रैली निकाली गई। कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ और किसानों के समर्थन में ट्रैक्टर रैली केसरी होटल से शुरू करके तलवाड़ा के अलग अलग हिस्सों से होती संपन्न हुई। ब्लाक तलवाड़ा के अलग अलग गांवों से युवा वर्ग ने पहुंच कर किसानों का समर्थन किया। युवा वर्ग को संबोधित करते हुए सोशल मीडिया ब्लाक प्रधान दविदरपाल सेठी ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो कृषि सुधार कानून लाए हैं उसका तब तक विरोध करते रहेंगे जब तक यह नहीं हो जाते। उन्होंने केंद्र सरकार को अपील की है कि जल्द किसान विरोधी कृषि सुधार कानून को रद करे। इस मौके पर युवा नेता मुनीश मदान, गगन राणा, अमित शर्मा अम्मू, तरनजीत बाबी, दमनदीप सिंह, अमित खुराना, लाड्डी रजवाल, साहिल डोगरा नोनू, शानू, अमित खुराना, पवन शर्मा, प्रीतम सिंह प्रीत, राम प्रसाद शर्मा, नेवी चाटक, नवल किशोर मेहता, दीपक ठाकुर, राकेश कुमार, रिपल चौधरी, शुभम परमार, शिवम सोनी, विकास गोगा, अंकुश चौधरी, शेरा, वरुण शर्मा, रिश्व शर्मा, निकुंज, सचिन गोपी, रमनदीप रम्मी, सचिन ठाकुर, विकर्म, रिपल चौधरी हाजिर थे।

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उधर, होशियारपुर में डिफेंस कमेटी के पूर्व चेयरमैन व प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य कमल चौधरी ने केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानून को डेढ़ साल तक होल्ड रखने के प्रस्ताव का स्वागत किया। इस संबंध में उन्होंने गृह मंत्री से मिलने का भी प्रयास किया, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। इसके चलते उन्होंने सुझावों को उनकी मेल पर भेज कर अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि डेढ़ साल तक इन कानूनों को होल्ड करने के बाद इस पर विस्तार से चर्चा की जा सकेगी। संसदीय नियमों के अनुसार राष्ट्रपति की ओर से पास किए गए कानून को रद करना इतना आसान नहीं है। दूसरी तरफ, किसान कानून को रद करने की मांग पर डटे हुए हैं। इसके चलते देश में एक अजीब किस्म का वातावरण बन रहा है। संसद का आगामी सत्र इसी माह शुरू हो रहा है। हो सकता है कि सरकार इसमें कोई हल निकाल ले।


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