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लोगों को स्वस्थ करने वाला अस्पताल आज खुद बीमार

केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के दावे किए जाते हैं, परंतु ग्राउंड लेबल पर यह दावे जीरो हो रहे है,ं जिसकी ताजा मिसाल सिविल अस्पातल में देखी जा सकती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 11:10 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 11:10 PM (IST)
लोगों को स्वस्थ करने वाला अस्पताल आज खुद बीमार

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के दावे किए जाते हैं, परंतु ग्राउंड लेबल पर यह दावे जीरो हो रहे है,ं जिसकी ताजा मिसाल सिविल अस्पातल में देखी जा सकती है। जिला का मुख्य चिकित्सालय इन दिनों सफाई व्यवस्था न होने के कारण बीमार चल रहा है। लोगों के रोगों का उपचार करने वाला स्वास्थ्य विभाग के इस अस्पताल को खुद ही उपचार की जरुरत है और आलम यह है कि लोगों को गंदगी से होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी देने वाला स्वास्थ्य विभाग खुद ही गंदगी के ढेर के ऊपर है। अस्पताल में जिस तरफ भी नजर दौड़ाई जाए वहां पर गंदगी ही गंदगी। सफाई कर्मी सफाई की केवल औपचारिकता निभाते हैं और सफाई करके कचरे का अस्पताल में ढेर लगाकर चुपचाप निकल जाते हैं। जब कचरे का ढेर बड़ा हो जाता है तो उसे चुपचाप आग लगा दी जाती है। वहीं अस्पताल परिसर में जगह-जगह गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है और इस तरफ किसी भी अधिकारी का ध्यान तक नहीं है।

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जहां भी देखो वहीं गंदगी नजर आती है

सिविल अस्पताल जिला का सबसे बड़ा स्वास्थ्य केंद्र है व केंद्रीय मंत्री व कैबिनेट मंत्री के इलाके में होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। आलम यह है कि मुख्य केंद्र होने के बावजूद भी वह सफाई के मामले में पिछड़ा हुआ है। अस्पताल के परिसर में चारों तरफ गंदगी के ढेर लगे हैं। यदि अस्पताल के शवग्रह की तरफ की बात की जाए तो इस इलाके में गंदगी पूरी तरह से भरी हुई है और अकसर सफाई कर्मी अस्पताल का पूरा कचरा इसी तरफ फैंक दिया जाता है और बाद में उसे सफाई कर्मी चुपचाप आग लगाकर काम निपटा जाते हैं। कचरे से उठने वाला धुआं और जहरीली गैस सीधे तौर पर प्रदूषण फैलाती हैं और कई प्रकार के भयानक रोगों का कारण बनती हैं। इस धुएं से फेफड़ों के रोग जैसे दमा, अस्थमा, आंखों में जलन पैदा होते हैं।

जंगली बूटी भी है बड़ी परेशान

अस्पताल परिसर के चारों तरफ जंगली बूटी, भांग का साम्राज्य फैला हुआ है और अस्पताल प्रबंधन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। बरसात के दिनों में इससे मच्छर पैदा होते हैं और सीएमओ दफ्तर की तरफ तो इसका प्रकोप और भी अधिक है। सफाई कर्मचारी कभी मन में आए तो कुछ कटाई करते हैं परंतु साल में ज्यादातर अस्पताल परिसर इस बूटी से भरा ही रहता है।

कबाड़ हो रहे वाहनों के लिए नहीं है कोई उचित स्थान

सफाई का मामला तो एक तरफ अपने लाखों रुपये के सामान के प्रति स्वास्थ्य विभाग कितना गंभीर है इसका अंदाजा अस्पताल परिसर में खड़े कबाड़ हो रहे वाहनों से लगा सकते हैं। अस्पताल के आर्थो के डॉक्टर के कांप्लेक्स के एकदम पीछे विभाग की अनदेखी का शिकार हुए वाहन जो अब खड़े-खड़े कबाड़ का रूप धारण कर चुके हैं का किसी भी अधिकारी का इस तरफ कोई ध्यान ही नहीं है।

जल्द होगा समस्या का समाधान : डॉ. रेणु सूद

सिविल सर्जन डॉ. रेणू सूद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में खुद जांच करेंगी और अस्पताल परिसर को सही तरीके से साफ करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सफाई रखना तो हम सबका फर्ज है और जल्द ही सफाई के उचित प्रबंध करवाए जाएंगे।


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