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कड़ाके की सर्दी पर अस्पताल में मरीजों को मिल रहे कंबल

सर्दी का मौसम है, पिछले दो तीन दिन से मौसम में ठंडक बढ़ने से ठिठुरन बढ़ी है और लोगों को कड़ाके की सर्दी सहन करनी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 10:39 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 10:39 PM (IST)
कड़ाके की सर्दी पर अस्पताल में मरीजों को मिल रहे कंबल

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : सर्दी का मौसम है, पिछले दो तीन दिन से मौसम में ठंडक बढ़ने से ठिठुरन बढ़ी है और लोगों को कड़ाके की सर्दी सहन करनी पड़ रही है। लेकिन सरकारी अस्पताल में इस कंपकपाती सर्दी में मरीजों को कंबल तक मुहैया नहीं करवाए जा रहे। हालत यह हैं कि लोग मजबूरी में अपने घर से रजाई व कंबल लाने के लिए मजबूर हैं वैसे तो सरकार द्वारा लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के बड़े-ड़े दावे किया जाते हैं, लेकिन इन दावों की हवा जमीन स्तर पर निकलने में कोई अधिक समय नहीं लगता। ऐसा कहने में कोई दो राय नहीं है कि नाम बड़े और दर्शन छोटे। जागरण टीम ने जब अस्पताल का मौके मुआयना किया, तो कड़ाके की सर्दी में मरीजों को देने के लिए कंबलों की व्यवस्था ही नहीं है और मजबूरी में लोग अपने स्तर पर घर से रजाई व कंबल लाने के लिए मजबूर हैं। जो कंबल हैं भी वह भी कुछ बढि़या हालत में नहीं हैं, जिसके चलते लोग उन्हें लेने से मन कर देते हैं पर जो मजबूर हैं वह यह कंबल लेते हैं।

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नहीं दिए जा रहे मरीजों को कंबल

सरकारी की तरफ से मरीजों को सुविधा देने के लिए बिस्तर मुहैया करवाया जाता है, जिस पर गद्दा, चदर व कंबल अलग से दिया जाता है। लेकिन सरकारी अस्पताल में ऐसी सुविधा नाम को कोई चीज ही नहीं है। मरीजों को सर्दी के मौसम में भी कंबल मुहैया नहीं करवाए जा रहे। यहां तक की कुछ बिस्तरों पर तो चादरें भी नहीं हैं। जो मरीज हैं उनके परिजन घर से कंबल व रजाई लाने के लिए मजबूर हैं। केवल इमरजेंसी में ही कंबल वह भी किसी-किसी को मुहैया करवाए जाते हैं।

कंबल नहीं मिले हम घर से लाए हैं

अस्पताल में उपचाराधीन कश्मीर ¨सह, सु¨रदर कुमार, आलम, प्रभात, लक्ष्मन दास, सुरजीत कौर आदि ने बताया कि वह अस्पताल में दाखिल हैं और उन्हें पता था कि अस्पताल में सर्दी के मौसम में कंबल मिल जाते हैं। वह घर से बिना कंबल व रजाई का प्रबंध किए अस्पताल में पहुंच गए। लेकिन भर्ती होने के बाद उन्हें कंबल ही नहीं मिला। हार कर उनके परिजनों ने घर से उन्हें कंबल व रजाई लाकर दी तब जाकर ठंड से राहत मिली। सुविधा तो नाम की ही है। क्या करें मजबूरी हैं, अस्पताल में दिन रात रुकना पड़ रहा है इसलिए ठंड से बचने के लिए कंबल तो जरूरी है। कश्मीर ¨सह व सु¨रदर कुमार ने बताया कि हमने पहले दिन कंबल मांगा भी था, लेकिन किसी ने उनकी बात ही नहीं सुनी। काफी देर ठंड में ठिठुरने के बाद उन्हें घर से कंबल मंगवाना पड़ा।

कंबल वापस नहीं करते लेने वाले

मौके पर मौजूद स्टॉफ से पूछा गया कि कंबल क्यों नहीं दिए जा रहे। तो उन्होंने दोटूक शब्दों में जवाब देते हुए कहा कि पहले हरेक को कंबल दिया जाता था, लेकिन फिर बीच-बीच में कुछ ऐसे मरीज भर्ती हुए जो अपने साथ ही कंबल ले गए और उनका हिसाब तो स्टॉफ को ही देना पड़ता है। वैसे कंबलों की कमी नहीं है, लेकिन इस तरह कंबल ले जाने से उल्टा उन्हें परेशानी उठानी पड़ती हैं। हम ड्यूटी करें या फिर कंबलों की संभाल करें। स्टॉफ इतना है नहीं जो इस प्रकार का काम भी हो सके।

मैं खुद करूंगी जांच, मरीजों को कंबल देना जरूरी : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. रेनू सूद से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मैं खुद जांच करूंगी। मरीजों को कंबल देने के लिए स्टॉफ को निर्देश जारी किए भी गए हैं और आगे भी वह आदेश जारी करेंगी। उन्होंने कहा कि मरीजों द्वारा कंबल लेकर जाने से समस्या तो होती है पर स्टॉफ की ड्यूटी लगाई जाएगी व इसका खास तौर पर ध्यान रखें जब मरीज को छुट्टी मिलती है तो कंबल वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि जल्दी ही इस प्रकार का सिस्टम लागू किया जाएगा। जिसमें दाखिल होते समय कंबल की एंट्री मरीज के नाम की जाए और छुट्टी देते समय कंबल वापस लिया जाना सुनिश्चित किया जाए।


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