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सफेद हाथी साबित हो रही सिविल अस्पताल में पड़ी स्कैनिग मशीनें

जागरण संवाददाता होशियारपुर पंजाब सरकार मिशन तंदुरुसत के दावे करते नहीं थकती।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 10:11 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 10:11 PM (IST)
सफेद हाथी साबित हो रही सिविल अस्पताल में पड़ी स्कैनिग मशीनें
सफेद हाथी साबित हो रही सिविल अस्पताल में पड़ी स्कैनिग मशीनें

जागरण संवाददाता, होशियारपुर

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पंजाब सरकार मिशन तंदुरुसत के दावे करते नहीं थकती। समय-समय पर बड़े-बड़े ऐलान कर रही है लेकिन यह दावे केवल दावों तक ही सीमित होकर रह गए हैं। जिसकी ताजा मिसाल होशियारपुर सिविल अस्पताल में पिछले लंबे समय से बंद पड़े स्कैन सेंटर से मिलती है।

सरकार लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए कितनी गंभीर है इस बात का पता इससे लगता है कि जो डाक्टर अस्पताल में स्कैन करते थे उनकी सेवामुक्ति के बाद किसी और को इस सेंटर में लगाया तक नहीं गया। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद यह स्कैन मशीनें सफेद हाथी साबित हो रही हैं। यह कोई अकेला सेंटर नहीं है जहां स्कैन सेंटर राम भरोसे है, इसके अलावा दसूहा, मुकेरियां में भी इन सेंटरों पर ताले लटके हुए हैं। गढ़शंकर, माहिलपुर के अस्पतालों में यह सुविधा वैसे ही नहीं है। कुल मिलाकर पूरे जिले में स्कैनिग के लिए लोगों को प्राइवेट सेंटरों की ओर देखना पड़ता है। सरकारी अस्पताल में स्कैनिग दो से अढाई सौ रुपये में होती है। प्राइवेट में लोगों को आठ सौ रुपये व मेजर स्कैनिग के लिए दो हजार से 2500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। ---------------------- बाहर से मजबूरी में करवाई स्कैनिग : सन्नी कुमार

फतेहगढ़ नियाड़ा से अपनी पत्नी को अस्पताल चेकिग के लिए लेकर पहुंचे सन्नी कुमार ने कहा कि वह मेहनत मजदूरी करता है। पत्नी गर्भवती है, वह इसी चक्कर में सरकारी अस्पताल में पहुंचा था कि यहां पर कम खर्च में सारा काम हो जाएगा। महिला डाक्टर ने स्कैनिग के लिए लिख दिया। जब वह पर्ची कटवाने के लिए पहुंचा तो पता चला कि मशीनें तो हैं लेकिन स्कैनिग सेंटर बंद पड़ा है चूंकि डाक्टर ही नहीं है। मजबूरी में उसे प्राइवेट सेंटर से स्कैनिग करवानी पड़ी, जो दो सौ रुपये में काम होना था उसके लिए एक हजार रुपये खर्च करने पड़े। -----------------

मजबूरी में सरकारी अस्पताल आए लेकिन सुविधा भी नहीं मिल रही : ब्रिजमोहनी देवी

भूंगा कस्बा से अपनी बेटी की डिलीवरी के लिए पहुंची ब्रिजमोहनी देवी ने बताया कि वह बिहार की रहने वाली है। पूरा परिवार भूंगा में रहता है और वहीं पर मजदूरी करके पेट पालता है। बेटी के बच्चा होने वाला था। भूंगा सिविल अस्पताल गए वहां से उन्हें होशियारपुर भेज दिया। पहले तो बाहर से स्कैनिग करवाई जिसके लिए आठ सौ रुपये लगे अब सारी दवा भी बाहर से खरीदी है। सरकारी अस्पताल केवल नाम का है।

------------------- सरकार के कहने से कुछ नहीं होता : जोगिदर कौर

टांडा के गांव कलोआ से अपनी बेटी को लेकर पहुंची जोगिदर कौर ने बताया कि वह सरकारी अस्पताल में बेटी को लेकर पहुंची थी। डाक्टरों ने जांच की तो स्कैन कराने के लिए कहा परंतु अस्पताल में स्कैन नहीं हुई। पर्ची कटवाने गए तो पता चला कि पिछले एक साल से स्कैन सेंटर बंद पड़ा है। बाहर से स्कैन करवाई जिसके लिए 2500 रुपये लगे। इससे तो अच्छा था कि हम प्राइवेट अस्पताल में ही चले जाते।

--------------- मामला ध्यान में है जल्द होगा समस्या का हल : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डा. जसबीर सिंह ने बताया कि मामला ध्यान में है। जल्द ही चिकित्सक तैनात किया जाएगा। उच्चाधिकारियों को लिखा गया है। एक नियुक्ति हुई है जिसकी सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।


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