सियासी दंगल में दो डॉक्टर,दो ब्यूरोक्रेट्स, कांटे की होगी टक्कर
लोकसभा क्षेत्र होशियारपुर के लिए चुनावी बिसात बिछ चुकी है। लंबे इंतजार के बाद भाजपा हाईकमान ने भी अपना उम्मीदवार दंगल में उतार दिया है। भाजपा ने केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला को कमजोर पहलवान मानते हुए हलका फगवाड़ा के भाजपा विधायक सोम प्रकाश के चुनावी लंगोटी पहनाया है। आम आदमी पार्टी ने काफी पहले ही डा. रवजोत सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। उसके बाद बसपा ने ब्यूरोक्रेट्स खुशी राम को चुनाव मैदान में उतार दिया था। करीबन 21 दिन पहले कांग्रेस ने हलका चब्बेवाल से विधायक डा. राज कुमार को चुनाव लंगोट पहनाकर दंगल में उतार दिया था।
हजारी लाल, होशियारपुर
लोकसभा क्षेत्र होशियारपुर के लिए चुनावी बिसात बिछ चुकी है। लंबे इंतजार के बाद भाजपा हाईकमान ने भी अपना उम्मीदवार दंगल में उतार दिया है। भाजपा ने केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला को कमजोर पहलवान मानते हुए हलका फगवाड़ा के भाजपा विधायक सोम प्रकाश को चुनावी लंगोट पहनाया है। आम आदमी पार्टी ने काफी पहले ही डॉ. रवजोत सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। उसके बाद बसपा ने ब्यूरोक्रेट्स खुशी राम को चुनाव मैदान में उतार दिया था। करीबन 21 दिन पहले कांग्रेस ने हलका चब्बेवाल से विधायक डॉ. राज कुमार को चुनाव लंगोट पहनाकर दंगल में उतार दिया था। डॉ. राज कुमार ने 23 अप्रैल को नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया। भाजपा ने इंतजार की घड़ियां समाप्त करते हुए सन 2009 के लोकसभा चुनाव में महज 366 वोटों से हारे सोम प्रकाश पर भरोसा जताया है। यह चुनाव बड़ा रोचक ही होगा। पहली बार ऐसा मौका है जब मैदान में दो डॉक्टर और दो ब्यूरोक्रेट्स हैं। चारों ही उम्मीदवार जनता की नब्ज पहचानने में माहिर हैं। ब्यूरोक्रेट्स को जनता की परेशानी की नब्ज पहचानने का अनुभव है जबकि दो डॉक्टरों को जनता के दर्द को पहचानने का अनुभव है। अब देखना है कि चुनावी मैदान में जनता की नब्ज अच्छी तरह से कौन पहचान पाता है। जनता अपनी दुख दर्द के हल के लिए ब्यूरोक्रेट्स में से किसी को चुनती है या फिर डॉक्टरों में से किसी एक को। लोकसभा क्षेत्र होशियारपुर से उम्मीदवारों का प्रोफाइल
कांग्रेस उम्मीदवार की चुनौती
डा. राज कुमार
ताकत
-लोकसभा का पहला चुनाव होगा। इसीलिए उन्हें विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- 2012 के विधानसभा चुनाव में चब्बेवाल से 29 हजार से ज्यादा वोटों से जीत की वजह से उनका राजनीतिक कद बढ़ा है।
कमजोरी
-लोकसभा का पहला चुनाव होगा। उनके लिए लोकसभा क्षेत्र के अधीन आते नौ विधानसभा की नब्ज को पहचानना।
-डॉ. राज कुमार को सभी पुराने कांग्रेसियों को एक साथ लेकर चलना।
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उम्र 49 साल
शैक्षणिक योग्यता:- एमबीबीएस, एमडी (रेडियोलाजी)
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भाजपा उम्मीदवार सोम प्रकाश
ताकत
-सोम प्रकाश सन 2009 में होशियारपुर से लोकसभा का चुनाव लड़े हैं। इसीलिए हलके के नब्ज की पहचान।
-दो बार विधानसभा का इलेक्शन जीत चुके हैं। पिछला चुनाव विजय सांपला ने लड़ा था, इसीलिए जनता को जवाब नहीं देना पड़ेगा।
कमजोरी
-भाजपा में स्थानीय स्तर पर गुटबाजी है। ऐसे में सभी भाजपाइयों को एक साथ लेकर चलना कड़ी चुनौती होगी। सांपला गुट को साथ लेकर चलना।
-सन 2009 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद दस साल तक लोकसभा के लोगों से दूर रहना।
रिटायर्ड- आइएएस अफसर।
उम्र:- 67 साल।
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आप उम्मीदवार डॉ. रवजोत सिंह
ताकत
लोकसभा चुनाव का पहली बार लड़ना। केंद्र में भाजपा और राज्य में कैप्टन सरकार पर प्रहार करने का मौका।
- लोकसभा का चुनाव पहली बार लड़ रहे हैं। ऐसे में लोगों के विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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कमजोरी
आम आदमी पार्टी का तेजी से गिरा ग्राफ। पुराने नेताओं को पार्टी छोड़ कर चले जाना।
-सिर्फ शामचौरासी हलके की ही समझ। बाकी विधानसभा क्षेत्रों की नब्ज की पहचान न होना।
-हार्ट स्पेशलिस्ट
-आयु 45 साल।
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नौ में से सात विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
लोकसभा क्षेत्र होशियारपुर के अधीन आते नौ विधानसभा सीटों में से सात विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा है। विधानसभा चब्बेवाल, होशियारपुर, शामचौरासी, उड़मुड़, दसूहा, मुकेरियां और हरगोविदपुर में कांग्रेस काबिज है। भुलत्थ सीट आप के सुखपाल खैहरा ने जीती थी, लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दिया था। सिर्फ भाजपा के खाते में फगवाड़ा सीट ही है, जहां से भाजपा के उम्मीदवार सोम प्रकाश विधायक हैं। यह कहें कि सात सीटों पर कांग्रेस के कब्जे से अकाली-भाजपा को कड़ी चुनौती मिलेगी। इन सातों सीटों पर कांग्रेस का वोट बढ़त एक लाख से ज्यादा है।
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पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा-अकाली के पास थी छह सीटें
पिछले लोकसभा चुनाव में लोकसभा के नौ विधानसभा सीटों में पांच पर अकाली-भाजपा का कब्जा था। विधानसभा चब्बेवाल, शामचौरासी, दसूहा, हरगोविदरपुर, भुलत्थ और फगवाड़ा सीट पर अकाली भाजपा काबिज थी। जबकि कांग्रेस विधानसभा होशियारपुर, उड़मुड़, मुकेरियां में ही काबिज थी। लेकिन मामला उलटा है। कांग्रेस के पास सात विधानसभा सीटें हैं।
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भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए विरोधियों को साथ लेकर चलना चुनौती
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा को दोनों के लिए विरोधियों को साथ लेकर चलना चुनौती है। कांग्रेस की टिकट कटने से पूर्व केंद्रीय संतोष चौधरी नाराज हैं। वह कांग्रेस के साथ चलने को तैयार नहीं है। वह अपने पत्ते न खोलकर कांग्रेसियों में बेचैनी पैदा की है। दूसरी तरफ सोम प्रकाश को टिकट मिलने से अब केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला के गुट मायूस हो गया है। सोम प्रकाश को अब सांपला गुट को साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती होगी।