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लावारिस पशुओं की भरमार, प्रशासन की व्यवस्था बीमार

शहर में हर ओर लावारिस पशुओं की भरमार है। आए दिन यह पशु हादसों का कारण बन रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 11:21 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 11:21 PM (IST)
लावारिस पशुओं की भरमार, प्रशासन की व्यवस्था बीमार

व¨रदर बेदी, होशियारपुर :

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शहर में हर ओर लावारिस पशुओं की भरमार है। आए दिन यह पशु हादसों का कारण बन रहे हैं। प्रशासन व निगम द्वारा शहरवासियों को आवारा पशुधन से निजात दिलाने के बड़े बड़े दावे तो किए जाते हैं मगर इन दावों के उल्ट जमीनी हकीकत कुछ और ही है। शहर में अभी भी आवारा पशुधन उत्पात मचाते नजर आते हैं। जहां दिल करता है बीच सड़क में डेरा जमा कर बैठ जाते हैं। शहर के बस स्टैंड चौक मे भी शाम ढलते ही आवारा पशुओं का जमावड़ा शुरु हो जाता है। यह पशु बीच चौक में ही डेरा जमा लेते हैं जिससे ट्रैफिक तो प्रभावित होती ही है साथ में हादसे का खतरा भी बना रहता है। देखने वाली बात यह है कि शहरवासियों को आवारा पशुधन से निजात दिलाने के लिए प्रशासन द्वारा दो - दो कैटल पौंड बनवाए गए हैं। मगर फिर भी लोगों अभी तक पूरी तरह से आवारा पशुधन से निजात मिलती नजर नहीं आ रही। निगम अधिकारियों से बात करे तो उनका कहना है कि दोनों कैटल पौंड में पशु रखे जा रहे हैं मगर फिर भी जाने कहां से आवारा पशु आ जाते हैं यह बात उनकी समझ से भी परे है।

दुधारु पशु रखने को ही दी जाती है तरजीह

होशियारपुर में दो कैटल पौंड के अलावा आधा दर्जन के करीब छोटी बड़ी गउशाला भी हैं। मगर इन गउशाला में भी ज्यादातर दुधारु पशुओं को ही तरजीह दी जाती है। जो गउएं दूध देने के काबिल नहीं है उन्हें सड़कों से हटाने की कवायद नहीं की जाती ऐसा ही कुछ आवारा सांढों के मामले में किया जाता है। शहर में आवारा सांडों की गिनती बढ़ती जा रही है। सांडों के उत्पात मचाने से आए दिन हादसे होते रहते हैं जिनमें लोगों की जाने भी जा चुकी हैं। मगर फिर भी प्रशासन इनसे सबक लेने को तैयार नजर नहीं आता।

लावारिस पशु बने हादसों का कारण

हर गली व सड़कों पर बेलगाम घूम रहे आवारा पशु जहां शहरवासियों के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं वहीं इनसे होनी वाली दुर्घटनाओं से लोग भी काल का ग्रास बन रहे हैं। करीब चार माह पहले टांडा में भी पठानकोट निवासी मां- बेटी की मौत कार में एक लावारिस सांड के टकराने से हो गई थी। वहीं होशियारपुर के गांव ढोलनवाल में एक आवारा सांड की वजह से एक किसान की मौत हो चुकी है। करीब तीन साल पहले बुजुर्ग औरत खंडी देवी की मौत भी लावारिस सांढ के पटकने से हो गई थी। इससे पहले भी ऐसे कई हादसे हो चुके हैं जिनमें लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

ऐसटीमेट लगा कर बनेंगे शेड: सहायक कमशिनर

नगर निगम के सहायक कमिश्नर संदीप तिवाड़ी का कहना है कि आवारा पशुओं को फलाही व शहर में बनी कैटल पौंड में रखा जा रहा है। फिर भी अभी तक कई पशु लावारिस घूम रहे हैं। निगम द्वारा इनकी नंब¨रग की जाएगी। जहां तक शहर के कैटल पौंड में शैड का सवाल है तो इसका ऐसटीमेट बनवा कर इसे हाउस की बैठक में पास करवा कर शैड बनवाए जाएंगे ताकि और भी आवारा पशुधन रखा जा सके।

दैनिक जागरण सुझाव

नगर निगम व प्रशासन द्वारा शहर में चल रही गऊशाला के संचालकों से बात करके सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुधन को रखा जा सकता है। ऐसे में सड़कों पर आवारा पशु भी नहीं बचेंगे वहीं शहरवासियों को होने वाली परेशानी से भी मुकित मिल जाएगी। इसके अलावा आवारा पशुधन की टै¨गग की जाए जिससे आवारा पशु व पालतू पशु की पहचान आसान हो जाएगी। पालतू पशु पकड़े जाने पर उसके मालिक को जुर्माना लगाया जाए ताकि भविष्य में वह अपने पशु सड़कों पर छोड़ने से गुरेज करें।


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