बारिश से पौंग झील में बढ़ा कुल 83 फीट बढ़ा जलस्तर
संवाद सहयोगी, तलवाड़ा, दातारपुर ब्यास नदी पर बनाए गए मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे
संवाद सहयोगी, तलवाड़ा, दातारपुर
ब्यास नदी पर बनाए गए मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे बड़े पौंग बांध में 20 जून से जलभराव सीजन शुरू हो गया है और यह सीजन 20 सितंबर यानी तीन महीने तक चलेगा। बांध के जलग्रहण क्षेत्र में मानसून की भारी बारिश से झील में पानी का स्तर बहुत तेजी से बढ़ रहा और इसमें कुल 9 दिन में 25 फीट की बढ़ोतरी हुई है।
मंगलवार सुबह 6 बजे बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में 1369.13 फीट जलस्तर रिकार्ड किया गया। इसी समय बांध में 96197 क्यूसिक पानी की आमद हो रही है और बांध से 15001 क्यूसिक पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है और आज पानी बांध के फ्लड गेटों के स्तर 1365 फीट से 4 फीट ऊपर हो गया है।
जबकि विगत सोमवार 31 जुलाई को सुबह 1344.58 फीट जलस्तर रिकार्ड किया गया, इसी समय बांध में 47600 क्यूसिक पानी की आमद हो रही थी और 9008 क्यूसिक पानी डिस्चार्ज किया जा रहा था लिहाजा 6 दिनों में कुल 18 फीट जलस्तर बढ़ा है।
जबकि 20 जून को बांध में 1286.95 फीट जलस्तर रिकार्ड किया गया। इसी समय झील में मात्र 1621 क्यूसिक पानी की आमद और 8010 क्यूसिक पानी बांध से डिस्चार्ज हो रहा था। इस प्रकार बांध में आज तक 1369 -1286.95=83 फीट जलस्तर बढ़ा है।
ज्ञात रहे की पौंग बांध की डेड स्टोरेज क्षमता 1265 फीट है।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी के इस बार मानसून अति सक्रिय रहेगा एक अच्छा समाचार है। जिससे मानसून में बांध में पानी का वांछित स्तर 1390-1395 फीट तक जलभराव होने की उम्मीद बंधी है। वैसे बांध की उंचाई 1410 फीट है। पौंग बांध से डिस्चार्ज के बाद यह पानी शाह नहर बैराज में आ रहा है।
फिर उसमें से 11500 क्यूसिक पानी मुकेरियां हाइडल नहर में छोड़ा जा रहा है। जहां चार पावर हाउस में 207 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रही है।
15001 क्यूसिक में से 15001-11500=3501 क्यूसिक पानी शाह नहर बैराज से मूल ब्यास नदी में डिस्चार्ज किया जा रहा है।
पौंग बांध में कुल 6 टरबाइन है जो 66 मेगावाट की दर से कुल 396 मेगावाट बिजली उत्पादन करके राष्ट्र निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दे रही है। बांध से पंजाब,हरियाना, हिमाचल और राजस्थान को पानी ¨सचाई के लिए आबंटित किया जाता है।
मुकेरियां हाइडल नाहर से होकर पानी टेरकियाना के पास फिर से मूल ब्यास नदी में आ जाता है जहां से हरिके पत्तन और वहां से यह पानी राजस्थान को उपलब्ध करवाया जाता है।
ध्यान योग्य बात है कि चाहे यह बांध ब्यास नदी पर बना है पर यह पूरी तरह बारिश पर ही निर्भर है। क्योंकि ब्यास का सारा पानी मंडी में ब्यास सतलुज ¨लक सुरंग से सतलुज में डाल दिया गया है नतीजतन पौंग बांध में ग्लेशियरों का पानी नही आता बल्कि मात्र बारिश का पानी ही एकत्रित होता है। इसीलिए पौंग बांध को रेन फेड और भाखड़ा को स्नो फेड कहते हैं।