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श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है शिमला पहाड़ी का पंचमुखी शिव मंदिर

शिमला पहाड़ी का पंचमुखी शिव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं। हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर में नतमस्तक होते हैं। सावन माह में तो रौनक काफी दिख रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 06:34 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 05:29 AM (IST)
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है शिमला पहाड़ी का पंचमुखी शिव मंदिर

नीरज शर्मा, होशियारपुर : शिमला पहाड़ी का पंचमुखी शिव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं। हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर में नतमस्तक होते हैं। सावन माह में तो रौनक काफी दिख रही है। सुबह से शाम तक श्रद्धालु मंदिर में जलाभिषेक के लिए आते हैं व शिवलिंग का जल व दूध से स्नान कर भक्त विशेष पूजन भी करते है। शहर के अलग-अलग मंदिरों में सुबह व सांय को भक्त पूजा अर्चना कर रहे हैं।

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मंदिर का इतिहास

मंदिर के पुजारी विजय कुमार ने बताया कि पंचमुखी भगवान शिव मंदिर शिमला पहाड़ी काफी प्राचीन है। यह लगभग 200 साल पुराना है। मान्यता है कि सावन के महीने में यहां शिव आराधना करने वाले व ज्योति जलाने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं इसलिए दूर दराज से भी श्रद्धालु सावन मास में शिव आराधना करने आते हैं। यहां भगवान पंचमुखी रूप में विराजमान है। रोजाना 450 से 500 के करीब श्रद्धालु श्रद्धा का इजहार कर रहे हैं। इसके अलावा मंदिर में राम दरबार, भगवान हनुमान, संतोष माता, भगवान परशुराम, लक्ष्मी नारायण, माता सरस्वती, दुर्गा माता, काली माता, राधे कृष्ण, भगवान गणेश, नंदी जी, शीतला माता, शनिदेव व भैरों की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं।

तैयारियां

विजय कुमार ने बताया कि 1953 से 1990 तक उनके पिता पंडित कर्मचंद ने मंदिर का संचालन किया और इसके बाद से अब तक वे खुद सेवा में लगे हुए है। मंदिर के कपाट सुबह चार बजे खुल जाते हैं और रोजाना भगवान शिव का बिल पत्र, भांग, दूध, कच्ची लस्सी, धतूरे, अक्षत, चंदन के लेप से श्रृंगार व पूजा अर्चना की जाती है। हर वर्ष सावन मेले के समापन में भंडारे का आयोजन किया जाता है। राम दरबार में साढ़े सात से आठ बजे तक संकीर्तन होता है।


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