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परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं: स्वामी महेश पुरी

मानवीय व्यक्तित्व का निर्माण मनुष्य की अपनी सूझ-बूझ एकाग्रता परिश्रम और पराक्रम का प्रतिफल है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 11:56 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 11:56 PM (IST)
परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं: स्वामी महेश पुरी
परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं: स्वामी महेश पुरी

संवाद सहयोगी, दातारपुर : मानवीय व्यक्तित्व का निर्माण मनुष्य की अपनी सूझ-बूझ, एकाग्रता, परिश्रम और पराक्रम का प्रतिफल है। ऐसा प्रतिफल, जो जगत के अन्य उपार्जनों की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण और कहीं अधिक प्रयत्न-साध्य है। इस प्रतिफल की प्राप्ति में संकल्प शक्ति, साहसिकता और दूरदर्शिता का परिचय देना पड़ता है। फतेहपुर के शिव मंदिर में आज आषाढ़ महीने की संक्रांति के अवसर पर प्रवचन करते हुए तपोमूर्ति स्वामी महेश पूरी जी ने कहा जनसाधारण ने अपनाई गई रीति-नीति से ठीक उल्टी दिशा में चलना उस मछली के पराक्रम जैसा है, जो जल के प्रचंड प्रवाह को चीरकर प्रवाह के विपरीत तैरती चलती है। उन्होंने कहा आम तौर पर ज्यादातर लोगों को किसी भी कीमत पर संपन्नता और वाहवाही चाहिए। इस अवसर पर राजिदर कुमार, शास्त्री वीरेंद्र, सुरिदर, दलजीत सिंह, बलकार सिंह, नंबरदार अनंत राम, अशोक कुमार, मुन्ना रविदर ठाकुर आदि उपस्थित थे।

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